सदानंद गौड़ा: छात्र नेता के रूप में सीखा राजनीति का ककहरा, दूसरी बार बने मोदी सरकार में मंत्री
By भाषा | Published: May 31, 2019 06:24 AM2019-05-31T06:24:14+5:302019-05-31T06:24:14+5:30
आरएसएस कार्यकर्ता और एबीवीपी के कर्मठ कार्यकर्ता रहे गौड़ा ने राजनीतिक जीवन जनसंघ से जुड़कर शुरू किया। यहां से उन्होंने जो राजनीतिक संस्कार सीखे आज उन्हीं की बदौलत वह केंद्र सरकार में शामिल किए गए।
कर्नाटक के उडुपी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़कर छात्र नेता के रूप में राजनीति का ककहरा सीखने वाले डीवी सदानंद गौड़ा को दूसरी बार मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री के तौर पर शामिल किया गया है। पेशे से वकील रहे गौड़ा अब चौथी बार संसद पहुंचे हैं। उन्होंने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कृष्णा बायरे गौड़ा को पराजित किया।
कर्नाटक और केरल के सीमावर्ती सुलया कस्बे के मंडेकोलू गांव में 1953 में जन्में वेंकप्पा गौड़ा ने विज्ञान में स्नातक की उपाधि और फिर वकालत की डिग्री हासिल की। आरएसएस कार्यकर्ता और एबीवीपी के कर्मठ कार्यकर्ता रहे गौड़ा ने राजनीतिक जीवन जनसंघ से जुड़कर शुरू किया। यहां से उन्होंने जो राजनीतिक संस्कार सीखे आज उन्हीं की बदौलत वह केंद्र सरकार में शामिल किए गए।
वह भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष, भाजपा जिला उपाध्यक्ष, राज्य सचिव और बाद में राष्ट्रीय सचिव के पद पर भी रहे। गौड़ा 1994 में पुत्तुर विधानसभा सीट से निर्वाचित हुये। साल 2004 में उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वीरप्पा मोइली को मंगलूर लोकसभा सीट से पराजित करके संसद में पहली बार प्रवेश किया।
साल 2006 में वह भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष भी बने। यह उनका सांगठनिक कौशल था जिसकी वजह से दक्षिण भारत के राज्य कनार्टक में भाजपा पहली बार सरकार बनाने में सफल रही।
साल 2014 में गौड़ा ने बेंगलुरू उत्तर से लोकसभा चुनाव जीता। उन्हें पहले रेल मंत्रालय सौंपा गया पर छह महीने में ही उनसे यह जिम्मेदारी ले ली गई। इसके बाद उन्होंने न्याय एवं विधि मंत्री के तौर पर डेढ़ वर्ष नवम्बर 2014 से जुलाई 2016 तक कार्य किया।
इसके बाद उन्हें सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय का कार्यभार दिया गया। भाजपा नेता अनंत कुमार के निधन के बाद गौडा को रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया।