नागपुर: भारत इस साल 15 अगस्त के अपनी आजादी के 75 साल पूरे कर रहा है। स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पूर्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रविवार को नागपुर में उत्तिष्ठ भारत कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस मौके पर आरएसएस प्रमुख ने कहा, "हम अलग दिख सकते हैं। हम अलग-अलग चीजें खा सकते हैं। लेकिन हमारा अस्तित्व एकता में है। विविध होकर भी एक रहना और आगे बढ़ना कुछ ऐसा है, जो दुनिया भारत से सीख सकती है।"
कार्यक्रम में संघ के स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा, "समाज और देश के लिए काम करने का संकल्प लें। हम देश के लिए फांसी पर चढ़ेंगे, हम देश के लिए काम करेंगे। हम भारत के लिए गीत गाएंगे। जीवन भारत को समर्पित होना चाहिए।"
संघ प्रमुख ने आगे कहा, "पूरी दुनिया विविधता के प्रबंधन के लिए भारत की ओर देख रही है। जब विविधता को कुशलता से प्रबंधित करने की बात आती है तो दुनिया भारत की ओर इशारा करती है। दुनिया विरोधाभासों से भरी है, लेकिन प्रबंधन केवल भारत ही कर सकता है।"
अपने संबोधन में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने देश में जाति व्यवस्था की आलोचना की और कह कि यह सिर्फ भारतीयों में मतभेद पैदा करने के लिए बनाई गई। संघ प्रमुख ने कहा, "ऐसी कई ऐतिहासिक घटनाएं हुई हैं जो हमें कभी नहीं बताई गईं और न ही सही तरीके से सिखाई गईं। जिस स्थान पर संस्कृत व्याकरण का जन्म हुआ वह भारत में नहीं है। क्या हमने कभी एक सवाल पूछा क्यों? हम पहले ही अपने ज्ञान को भूल गए थे, बाद में विदेशी आक्रमणकारियों ने हमारी भूमि पर कब्जा कर लिया। हमारे बीच मतभेद पैदा करने के लिए अनावश्यक रूप से जातियों की खाई बनाई गई।"
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर से भारत को अखंड बनाने की बात दोहराई। उन्होंने कहा कि देश को महान और बड़ा बनाने के लिए डर छोड़ना होगा। संघ प्रमुख ने कहा कि हम अहिंसा के पुजारी हैं दुर्बलता के नहीं। उन्होंने कहा, भाषा, पहनावे और संस्कृति के आधार पर हमारे बीच छोटे-मोटे अंतर हैं। लेकिन हमें इन चीजों में नहीं फंसना चाहिए। संघ प्रमुख ने कहा, "देश की सभी भाषाएं राष्ट्रभाषाएं हैं, विभिन्न जातियों के सभी लोग अपने हैं।"