दिवाली: आरएसएस से जुड़े निकाय ने दिल्ली सरकार के पटाखों के बैन की कड़ी आलोचना की, पाबंदी वापस लेने को कहा
By भाषा | Updated: October 23, 2022 08:12 IST2022-10-23T08:02:34+5:302022-10-23T08:12:38+5:30
आरएसएस से जुड़े निकाय स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने दिल्ली में पटाखा बैन को लेकर एक बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है कि चीन से आयातित अवैध पटाखों से वायु प्रदूषण होता है, क्योंकि इसमें पोटैशियम नाइट्रेट और सल्फर होता है, जबकि देश में बने ग्रीन पटाखों से ऐसा नहीं होता है।

फोटो सोर्स: ANI फाइल फोटो
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने शनिवार को आम आदमी पार्टी (आप) नीत दिल्ली सरकार की ओर से दिवाली पर राजधानी में सभी प्रकार के पटाखों पर प्रतिबंध लगाने को लेकर आलोचना की और इस कदम को ‘अनुचित तथा अवैज्ञानिक’ बताया है।
इसने आरोप लगाया कि पटाखों पर अरविंद केजरीवाल सरकार की ओर से पूर्ण प्रतिबंध लगाने का मकसद लोगों को भ्रमित करना और राजधानी में प्रदूषण के वास्तविक कारणों से लोगों का ध्याना भटकाना है।
एसजेएम ने क्या कहा
एसजेएम ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि सरकारी एजेंसियां पंजाब, हरियाणा और देश के अन्य हिस्सों में पराली जलाने की समस्या का समाधान करने में नाकाम रही है, बावजूद इसके कि यह राजधानी और आसपास के उत्तरी राज्यों में वायु प्रदूषण का यह सबसे बड़ा कारण है।
एसजेएम की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘‘एसजेएम दिवाली के उत्सव पर दिल्ली सरकार की ओर से पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए जाने का कड़ा विरोध करता है, क्योंकि यह अनुचित है।’’
पराली जलाने की समस्या का स्थायी समाधान चाहते है एसजेएम
बयान में कहा गया कि एसजेएम सभी राज्यों से अनुरोध करता है कि वे पराली जलाने की समस्या के स्थायी समाधान खोजने का प्रयास करें और दिवाली के दौरान पटाखों पर लगाई गई पाबंदी को वापस लें। बयान के मुताबिक चीन से आयातित अवैध पटाखों से वायु प्रदूषण होता है, क्योंकि इसमें पोटैशियम नाइट्रेट और सल्फर होता है, जबकि देश में बने ग्रीन पटाखों से ऐसा नहीं होता।
इस व्यापार से जुड़े 10 लाख से भी अधिक लोगों पर पड़ेगा बुरा असर
एसजेएम ने कहा कि दिल्ली सरकार के फैसले से देश में पटाखा बनाने और इसके वितरण में शामिल लाखों कर्मियों को गंभीर आर्थिक नुकसान होगा। एसजेएम ने कहा कि तमिलनाडु (शिवकाशी), पश्चिम बंगाल और देश के अन्य हिसों में 10 लाख से अधिक लोग अपने गुजर बसर के लिए पटाखों पर निर्भर हैं और यह बात नहीं भूली जानी चाहिए।