यूपी में अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव अकेले लड़ेगी रालोद, जयंत चौधरी दक्षिण के राज्यों में पार्टी का करेंगे विस्तार
By राजेंद्र कुमार | Updated: May 4, 2025 23:43 IST2025-05-04T23:43:36+5:302025-05-04T23:43:36+5:30
जयंत चौधरी ने यूपी में अगले वर्ष होने वाले पंचायत चुनावों को अकेले ही लड़ने का संदेश पार्टी नेताओं को दिया है, ताकि अभी से इन चुनावों ही तैयारी शुरू की जाए.

यूपी में अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव अकेले लड़ेगी रालोद, जयंत चौधरी दक्षिण के राज्यों में पार्टी का करेंगे विस्तार
लखनऊ: राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के मुखिया और मोदी सरकार में मंत्री जयंत चौधरी अपने दादा चौधरी चरण सिंह और पिता चौधरी अजित सिंह की तरह देश में जाट समुदाय के सबसे बड़े नेता बनाने की मुहिम में जुट गए है. इसके लिए उन्होने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे दक्षिण राज्यों में पार्टी का विस्तार करने का फैसला किया है. रालोद का अभी यूपी, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और उत्तराखंड में ही पार्टी का संगठन है.
इन पांच राज्यों में पार्टी अपने संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत करने में लगी है. वही दूसरी तरफ जयंत चौधरी ने पार्टी की महिला विंग की ज़िम्मेदारी तेलंगाना की कपिलवै इंदिरा को सौप कर दक्षिण राज्यों में रालोद की सक्रियता बढ़ाने का संदेश दिया है. इसके साथ ही जयंत चौधरी ने यूपी में अगले वर्ष होने वाले पंचायत चुनावों को अकेले ही लड़ने का संदेश पार्टी नेताओं को दिया है, ताकि अभी से इन चुनावों ही तैयारी शुरू की जाए.
खत्म हुआ संकट आए अच्छे दिन :
एक समय था जब रालोद उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और उत्तराखंड में एक बड़ी राजनीतिक ताकत मानी जाती थी. इयान राज्यों में जाट और गुर्जर समुदाय चौधरी चरण सिंह और चौधरी अजित सिंह की अपील पर नेताओं को संसद और विधानसभा में पहुंचता था. वर्ष 2013 में यूपी के मुजफ्फरनगर में हुए दंगे के पहले तो रालोद किसी ना किसी राजनीतिक दल के साथ केंद्र और यूपी की सत्ता में रही थी.
केंद्र की सत्ता में चौधरी अजित सिंह मंत्री होते थे. जबकि यूपी की सरकारों में वह अपने नजदीकी नेता को मंत्री बनवाते थे. यह सिलसिला मुजफ्फरनगर में हुए दंगे के बाद टूट गया और रालोद के भी दुर्दिन आ गए. वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में चौधरी अजित सिंह और जयंत चौधरी दोनों ही चुनाव हारे. इस हार के सदमे से पश्चिम यूपी के किसानों ने रालोद को उबारा.
वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में जयंत चौधरी ने अखिलेश यादव के चुनावी गठबंधन केआर चुनाव लड़ा और आठ सीटे जीती. फिर सपा की मदद से जयंत चौधरी राज्यसभा में पहुंच गए. इसके बाद बीते लोकसभा चुनाव में जयंत चौधरी ने पाला बदलकर भाजपा के साथ आ गए. पीएम मोदी द्वारा चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने के किए गए ऐलान के चलते ही जयंत चौधरी भाजपा के साथ गए,
ऐसा वह दावा करते हैं. भाजपा में आने के बाद रालोद को यूपी की योगी सरकार में हिस्सेदारी मिली और एक रालोद के एक नेता एमएलसी भी बन गए. यहीं नहीं लोकसभा में भी रालोद के दो सांसद हो गए. कुल मिलाकर रालोद का राजनीतिक संकट अब खत्म हो गया और अच्छे दिन आने पर अब जयंत चौधरी पार्टी संगठन का विस्तार देश भर में करने पर जुट गए हैं.
पार्टी के विस्तार पर दिया जा रहा ध्यान :
केंद्र और यूपी की सरकार में मिली इस हिस्सेदारी के बाद अब जयंत चौधरी ने पार्टी के विस्तार पर ध्यान जमाया है. पार्टी के मुखिया के इस प्लान को लेकर रालोद के राष्ट्रीय महासचिव अनिल दुबे कहते हैं, उनकी पार्टी दूसरे राज्यों में अपने विस्तार पर ध्यान दे रही हैं. युवाओं, किसानों और कमेरो के मुद्दे को लेकर रालोद यूपी, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में अपने संगठन का बूथ स्तर तक मजबूत नेटवर्क तैयार करने में जुटी है. जबकि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे दक्षिण राज्यों में पार्टी संगठन बनाया जा रहा है.
वहां के युवा नेताओं को पार्टी से साथ जोड़ा जा रहा है. जिसके तहत बीते दिनों तेलंगाना में दिलीप कुमार की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति की गई और तेलंगाना की कपिलवै इंदिरा को रालोद महिला विंग की जिम्मेदारी सौंपी गई है. अब जल्दी ही पार्टी मुखिया जयंत चौधरी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में अपने पार्टी के कार्यक्रम में शामिल होने जाएँगे. इसी तरह से अब यूपी में रालोद अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव की तैयारी में जुट गई है.
इन चुनावों की रणनीति बनाने और संगठन को बूथ स्तर तक ले जाने के लिए आगामी 26-27 मई को मथुरा में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक बुलाई गई है. जयंत चौधरी की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव व सामाजिक प्रस्ताव पर मुहर लगेगी. पार्टी इसी पर आगे बढ़ेगी.