'चुनाव लड़ने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं', सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर लगाया एक लाख का जुर्माना, जानें पूरा मामला

By भाषा | Updated: September 13, 2022 19:45 IST2022-09-13T19:42:19+5:302022-09-13T19:45:20+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि चुनाव लड़ने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है। मामला राज्य सभा चुनाव लड़ने को लेकर दी गई एक याचिका से जुड़ा है।

right to contest elections is not a fundamental right says Supreme Court | 'चुनाव लड़ने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं', सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर लगाया एक लाख का जुर्माना, जानें पूरा मामला

चुनाव लड़ने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं: सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

Highlightsचुनाव लड़ने का अधिकार न तो मौलिक और न ही ‘कॉमन लॉ’ अधिकार है: सुप्रीम कोर्टकोर्ट ने कहा कि कोई व्यक्ति यह दावा नहीं कर सकता कि उसे चुनाव लड़ने का अधिकार है।दिल्ली उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला।

नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट नेराज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के मुद्दे से संबंधित एक याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि चुनाव लड़ने का अधिकार न तो मौलिक और न ही ‘कॉमन लॉ’ अधिकार है। ‘कॉमन लॉ’ अधिकार व्यक्तिगत अधिकार हैं जो न्यायाधीश द्वारा बनाए गए कानून से आते हैं, न कि औपचारिक रूप से विधायिका द्वारा पारित कानून नहीं होते। इसके साथ ही न्यायालय ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

न्यायालय ने कहा कि कोई व्यक्ति यह दावा नहीं कर सकता कि उसे चुनाव लड़ने का अधिकार है। उसने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून, 1950 (चुनाव आचरण नियम, 1961 के साथ पढ़ें) में कहा गया है कि नामांकन प्रपत्र भरते समय उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव किया जाना है। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 10 जून के एक आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।

क्या है पूरा मामला?

दिल्ली उच्च न्यायालय ने राज्यसभा चुनाव, 2022 के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी तय करने से जुड़ी एक याचिका को खारिज कर दिया था। याचिकाकर्ता ने कहा था कि 21 जून 2022 से एक अगस्त 2022 के बीच सेवानिवृत्त होने वाले राज्यसभा सदस्यों की सीट को भरने के लिए चुनाव की खातिर 12 मई, 2022 को अधिसूचना जारी की गई थी। नामांकन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 31 मई थी।

याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्होंने नामांकन पत्र लिया था, लेकिन उनके नाम का प्रस्ताव करने वाले उचित प्रस्तावक के बिना नामांकन दाखिल करने की अनुमति नहीं दी गई। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि प्रस्तावक के बिना उनकी उम्मीदवारी स्वीकार नहीं की गई, जिससे उनके भाषण और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन हुआ था।

उच्चतम न्यायालय ने एक लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि चार सप्ताह के अंदर उच्चतम न्यायालय कानूनी सहायता समिति को जुर्माने का भुगतान किया जाए।

Web Title: right to contest elections is not a fundamental right says Supreme Court

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे