चुनाव निशान के कथित दुरुपयोग को लेकर चुनाव आयोग से जवाब-तलब

By भाषा | Updated: December 10, 2020 17:58 IST2020-12-10T17:58:40+5:302020-12-10T17:58:40+5:30

Response to Election Commission regarding alleged misuse of election mark | चुनाव निशान के कथित दुरुपयोग को लेकर चुनाव आयोग से जवाब-तलब

चुनाव निशान के कथित दुरुपयोग को लेकर चुनाव आयोग से जवाब-तलब

प्रयागराज, 10 दिसंबर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव निशान का लोगो के तौर पर कथित दुरुपयोग किए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर भारत निर्वाचन आयोग से जवाब- तलब किया है।

इस याचिका में कमल के फूल का उपयोग भाजपा के चुनाव निशान के तौर पर करने पर रोक लगाने की मांग की गई है क्योंकि कमल का फूल राष्ट्रीय पुष्प है और यह विभिन्न सरकारी वेबसाइटों पर दिखाई देता है।

मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की पीठ ने गोरखपुर के काली शंकर द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि कमल को राष्ट्रीय पुष्प के तौर पर दिखाया जाता है और यह विभिन्न सरकारी वेबसाइटों पर भी दिखता है। इसलिए किसी भी राजनीतिक दल को इसका उपयोग एक प्रतीक के तौर पर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि यह मतदाताओं की सोच को प्रभावित करेगा और उस राजनीतिक दल को अनुचित लाभ मिलेगा।

याचिकाकर्ता के वकील के मुताबिक, चुनाव चिह्नों का जीवनकाल यहां तक कि एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल से चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार का आरक्षित चिह्न तक, एक विशेष चुनाव के लिए ही होता है और राजनीतिक पार्टी इस चिह्न का उपयोग अपने लोगो के तौर पर नहीं कर सकती।

वकील ने कहा कि यदि राजनीतिक पार्टियों को चुनाव निशान का उपयोग, चुनावों के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए हमेशा के लिए करने की अनुमति दी जाती है तब यह ऐसे उम्मीदवारों के लिए अन्यायपूर्ण होगा जो किसी मान्यता प्राप्त पार्टी से नहीं जुड़े हैं या निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं क्योंकि उन्हें हर चुनाव से पहले नया चुनाव निशान मिलता है।

इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि ज्यादातर लोकतांत्रिक देशों में साक्षरता का उच्च स्तर हासिल होने के बाद चुनाव निशान की अवधारणा वापस ले ली गई है, लेकिन हमारे लोकतंत्र की व्यवस्था में चुनाव निशान वापस लेने की सरकार की कोई मंशा नजर नहीं आती।

याचिका में इस बात पर जोर दिया गया कि जन प्रतिनिधि कानून और चुनाव चिह्न (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश, 1968 के तहत चुनाव चिह्न की अवधारणा केवल चुनावों के उद्देश्य के लिए ही लागू है और इस तरह के चिह्न का उपयोग किसी राजनीतिक पार्टी के लोगो के तौर पर नहीं किया जा सकता।

निर्वाचन आयोग की ओर से पेश हुए वकील ने इस पूरे मुद्दे की समीक्षा कर इस पर जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय मांगा।

अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील को अन्य राजनीतिक दलों को इस याचिका में प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया।

उल्लेखनीय है कि निर्वाचन आयोग ने भाजपा के चुनाव निशान के तौर पर कमल के उपयोग पर रोक लगाने की इस याचिकाकर्ता की अर्जी 4 अप्रैल, 2019 को खारिज कर दी थी। इसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर आयोग के नामंजूरी के आदेश को रद्द करने और निर्वाचन आयोग को कानून के मुताबिक राजनीतिक प्रतीक चिह्न का उपयोग करने के लिए नए दिशानिर्देश जारी करने का निर्देश देने की मांग की।

अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 12 जनवरी, 2021 निर्धारित की है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Response to Election Commission regarding alleged misuse of election mark

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे