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अनुसंधानकर्ताओं ने आस-पास के ब्रह्मांड में विलय करते तीन विशालकाय ब्लैक होल की खोज की

By भाषा | Updated: August 27, 2021 14:33 IST

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अनुसंधानकर्ताओं ने कई आकाशगंगाओं से तीन अत्यंत विशाल ब्लैक होल का पता लगाया है जो एक साथ मिलकर तिगुने सक्रिय आकाशगंगा संबंधी नाभिक (गेलेक्टिक न्यूक्लियस) का निर्माण कर रहे हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने शुक्रवार को कहा कि यह नयी खोजी गई आकाशगंगा के केंद्र में स्थित एक जटिल क्षेत्र है जिसकी चमक सामान्य से बहुत अधिक है। आस-पास के ब्रह्मांड में यह दुर्लभ घटना संकेत देती है कि छोटे विलय करने वाले समूह बहुसंख्यक विशालकाय ब्लैक होल का पता लगाने के लिए आदर्श प्रयोगशालाएं हैं और इस तरह की दुर्लभ घटनाओं का पता लगाने की संभावना को बढ़ाते हैं। डीएसटी ने कहा, “विशालकाय कृष्ण विवरों का पता लगाना मुश्किल होता है क्योंकि वे कोई प्रकाश उत्सर्जित नहीं करते हैं। लेकिन वे अपने परिवेश के साथ संपर्क में रहकर अपनी उपस्थिति प्रकट कर सकते हैं।” जब आसपास की धूल और गैस एक विशालकाय ब्लैक होल पर गिरती है, तो कुछ द्रव्यमान ब्लैक होल द्वारा निगल लिया जाता है, लेकिन इसमें से कुछ ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है और विद्युत चुम्बकीय विकिरण के रूप में उत्सर्जित होता है जिससे ब्लैक होल बहुत चमकदार दिखाई देता है। भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के अनुसंधानकर्ताओं की टीम जिसमें ज्योति यादव, मौसमी दास और सुधांशु बर्वे शामिल हैं कॉलेज डी फ्रांस के फ्रंक्वा कॉम्ब्स, चेयर गैलेक्सीज एट कॉस्मोलोजी, पेरिस के साथ, एक ज्ञात अंतःक्रियात्मक आकाशगंगा जोड़ी, एनजीसी 7733, और एनजीसी 7734 का अध्ययन करते हुए पाया कि एनजीसी 7734 के केंद्र से असामान्य उत्सर्जन हो रहा है और एजीसी 7733 के उत्तरी हिस्से में बड़ा एवं चमकीले पिंड दिख रहे हैं। डीएसटी ने बताया, “वैज्ञानिकों का मतलब था कि यह पिंड एनजीसी 7733 हिस्सा नहीं था; बल्कि, यह उसके हिस्से के पीछे एक छोटी अलग आकाशगंगा थी। उन्होंने इस आकाशगंगा का नाम एनजीसी 7733एन रखा है।” यह अध्ययन ‘एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स’ पत्रिका में एक पत्र के रूप में प्रकाशित हुआ है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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