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Remove Cash Row Judge: इस्तीफा नहीं देंगे न्यायाधीश यशवंत वर्मा?, सीजेआई संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति और पीएम को भेजी रिपोर्ट, महाभियोग चलाने की सिफारिश

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 8, 2025 20:58 IST

Remove Cash Row Judge: उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने 24 मार्च को न्यायमूर्ति वर्मा को उनकी मूल अदालत ‘‘इलाहाबाद उच्च न्यायालय’’ में वापस भेजने की सिफारिश की।

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ठळक मुद्देमुख्य न्यायाधीश से कहा कि वह न्यायमूर्ति वर्मा को फिलहाल कोई न्यायिक कार्य न सौंपें। न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ नकदी बरामदगी के आरोपों की जांच की है। प्रधान न्यायाधीश राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को महाभियोग चलाने के लिए पत्र लिखते हैं।

Remove Cash Row Judge: भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने नकदी बरामदगी मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त तीन-सदस्यीय समिति की रिपोर्ट के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश केंद्र से की है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। प्रधान न्यायाधीश ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर उस समिति की रिपोर्ट साझा की है, जिसने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ नकदी बरामदगी के आरोपों की जांच की है।

न्यायमूर्ति खन्ना ने समिति की रिपोर्ट के साथ न्यायमूर्ति वर्मा का जवाब भी साझा किया है। यह कदम स्थापित आंतरिक प्रक्रिया के मद्देनजर महत्वपूर्ण है, जिसके तहत न्यायाधीश को इस्तीफा देने की सलाह का पालन नहीं किए जाने पर प्रधान न्यायाधीश राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को महाभियोग चलाने के लिए पत्र लिखते हैं।

उच्चतम न्यायालय ने एक बयान में कहा, ‘‘भारत के प्रधान न्यायाधीश ने आंतरिक प्रक्रिया के अनुसार राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है, जिसमें तीन-सदस्यीय समिति की तीन मई की रिपोर्ट की प्रति तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा से प्राप्त छह मई के पत्र/प्रतिक्रिया की प्रति संलग्न है।’’

सूत्रों ने पहले बताया था कि उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति ने नकदी बरामदगी मामले में अपनी जांच रिपोर्ट में न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आरोपों की पुष्टि की है। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जी एस संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अनु शिवरमन की तीन-सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रधान न्यायाधीश को सौंपी थी। ऐसा माना जा रहा है कि प्रधान न्यायाधीश ने समिति की रिपोर्ट पहले न्यायमूर्ति वर्मा को भेजी थी और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन करते हुए उनसे जवाब मांगा था।

सूत्रों ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश ने रिपोर्ट में महत्वपूर्ण निष्कर्षों के मद्देनजर न्यायमूर्ति वर्मा को पद छोड़ने का सुझाव दिया था। समिति ने साक्ष्यों का विश्लेषण किया और 50 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए, जिनमें दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा और दिल्ली अग्निशमन सेवा प्रमुख भी शामिल थे।

दोनों अधिकारी 14 मार्च को रात करीब 11:35 बजे न्यायमूर्ति वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास पर आग लगने की घटना के बाद सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वालों में शामिल थे। न्यायमूर्ति वर्मा उस समय दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे।

न्यायमूर्ति वर्मा ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति को दिए गए अपने जवाब में इस आरोप का बार-बार खंडन किया है। न्यायमूर्ति वर्मा के आवास पर कथित तौर पर नकदी बरामदगी से जुड़ी खबर सामने आने के बाद कई कदम उठाए गए, जिनमें दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय द्वारा प्रारंभिक जांच किया जाना, अदालत में न्यायमूर्ति वर्मा को न्यायिक कार्य से रोका जाना और बाद में उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करना शामिल है।

उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने 24 मार्च को न्यायमूर्ति वर्मा को उनकी मूल अदालत ‘‘इलाहाबाद उच्च न्यायालय’’ में वापस भेजने की सिफारिश की। शीर्ष अदालत ने 28 मार्च को, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से कहा कि वह न्यायमूर्ति वर्मा को फिलहाल कोई न्यायिक कार्य न सौंपें। 

टॅग्स :CJIsupreme courtAllahabad High Court
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