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Red Fort Blast: दिल्ली धमाकों से जमात-ए-इस्लामी और सिमी का क्या है कनेक्शन? जांच एजेंसी के रडार पर अल-फलाह के 2 कर्मचारी

By अंजली चौहान | Updated: November 29, 2025 13:38 IST

Red Fort Blast: अल फलाह विश्वविद्यालय में वरिष्ठ पद पर कार्यरत दो कर्मचारियों के सिमी और जेईआई से संदिग्ध संबंध हैं।

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Red Fort Blast: दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए ब्लास्ट और फरीदाबाद में पकड़े गए 'व्हाइट-कॉलर' टेरर मॉड्यूल की जांच कर रहे इन्वेस्टिगेटर्स ने अल फलाह यूनिवर्सिटी के दो सीनियर स्टाफ और स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) और जमात-ए-इस्लामी जैसे बैन रेडिकल नेटवर्क के बीच संदिग्ध लिंक का पता लगाया है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अल फलाह यूनिवर्सिटी में सीनियर पोस्ट पर काम करने वाले दो स्टाफ के बैन संगठनों SIMI और JeI के साथ संदिग्ध लिंक हैं।

हरियाणा के फरीदाबाद जिले में मौजूद अल फलाह यूनिवर्सिटी, 10 नवंबर को लाल किला इलाके में हुए ब्लास्ट केस की जांच के घेरे में है, जिसमें इसके मेडिकल कॉलेज में काम करने वाले एक डॉक्टर ने कथित तौर पर केमिकल एक्सप्लोसिव से भरी कार में खुद को उड़ा लिया था। 

इस ब्लास्ट में 15 लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हुए थे। यह ब्लास्ट हरियाणा के फरीदाबाद में सिक्योरिटी एजेंसियों द्वारा एक 'व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल' का भंडाफोड़ करने के कुछ घंटों बाद हुआ, जिसमें 2,900 किलोग्राम एक्सप्लोसिव बरामद हुए और अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े तीन डॉक्टरों को गिरफ्तार किया गया।

डॉ. मुज़म्मिल गनई और डॉ. शाहीन सईद - दोनों को जैश-ए-मोहम्मद और अंसार ग़ज़वत-उल-हिंद से जुड़े 'व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल' की जांच के तहत गिरफ्तार किया गया था - अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े थे।

उन्होंने सामान खरीदने के लिए 26 लाख रुपये से ज़्यादा जमा किए थे। चारों संदिग्धों - डॉ. मुज़म्मिल गनई, डॉ. अदील अहमद राथर, डॉ. शाहीन सईद और डॉ. उमर नबी - ने यह रकम कैश में इकट्ठा की थी, जिसे सुरक्षित रखने और ऑपरेशनल इस्तेमाल के लिए डॉ. उमर को सौंप दिया गया था।

एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट ने अल फलाह ग्रुप और ट्रस्ट में कथित फाइनेंशियल गड़बड़ियों की अपनी जांच भी बढ़ा दी है। एजेंसी ने कहा कि गिरफ्तार चेयरमैन ने दिल्ली में "जाली" डॉक्यूमेंट्स बनाकर कुछ जमीनें खरीदी होंगी।

ऑफिशियल सूत्रों के मुताबिक, फेडरल जांच एजेंसी कम से कम पांच मामलों की जांच कर रही है, जहां ज़मीन के टुकड़े खरीदने के लिए जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (GPA) से जुड़े डॉक्यूमेंट्स कथित तौर पर अल फलाह ग्रुप के गिरफ्तार चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी से जुड़े एक ट्रस्ट के कहने पर जाली बनाए गए थे।

सिद्दीकी को ED ने 18 नवंबर को अल फलाह ग्रुप और उससे जुड़ी कंपनियों के खिलाफ छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया था। यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में था, जो उनके एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन के उन स्टूडेंट्स के साथ धोखाधड़ी से जुड़ा था, जिनके पास कथित तौर पर वैलिड एक्रेडिटेशन नहीं था। 

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