नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस और उसके पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर भारत-चीन सीमा विवाद पर बार-बार उठाए गए सवालों को लेकर निशाना साधा है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ''राहुल गांधी को ये पता होना चाहिए कि चीन के साथ सीमा का विवाद ये हमारा आंतरिक मामला है। इस तरह के सवाल ट्विटर पर नहीं पूछने चाहिए। ये वही आदमी हैं, जिन्होंने बालाकोट एयरस्ट्राइक और 2016 के उरी अटैक का सबूत मांगा था।'' कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत-चीन गतिरोध को लेकर पिछले कुछ दिनों से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से जवाब मांग रहे हैं।
रविशंकर प्रसाद ने कहा, सोनिया गांधी जी आपके स्वर्गीय पति कहते थे कि मैं दिल्ली से 1 रुपया भेजता हूं और गांव में 15 पैसे पहुंचते हैं। नरेंद्र मोदी की सरकार में दिल्ली से 100 रुपये भेजते हैं और गरीब के अकाउंट में 100 रुपये पहुंचते हैं, ये ही है डिजिटल इंडिया।
रविशंकर प्रसाद ने कहा, अब बिचौलियों का राज समाप्त है तो मुझे पता है कि जब बिचौलिये समाप्त होते हैं तब कांग्रेस के लोगों को परेशानी होती है। लेकिन अब बिचौलियों की हम नहीं चलने देंगे।
राहुल गांधी कहा- चीनी हमारी सीमा में दाखिल हो गए और प्रधानमंत्री खामोश हैं
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध को लेकर बुधवार (10 जून) को दावा किया कि चीन के सैनिक भारतीय सीमा में दाखिल हो गए लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खामोश हैं और कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। उन्होंने ट्वीट किया, ''लद्दाख में चीनी हमारे क्षेत्र में दाखिल हो गए। इस बीच, प्रधानमंत्री पूरी तरह खामोश हैं और कहीं नजर नहीं आ रहे।''
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शायरी के द्वारा भारत-चीन सीमा के हालातों पर तंज कसा था। गृह मंत्री अमित शाह के एक भाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए राहुल गांधी ने ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था- ''सब को मालूम है 'सीमा' की हकीकत लेकिन, दिल के खुश रखने को, 'शाह-यद' ये ख़्याल अच्छा है।'
पूर्वी लद्दाख के कुछ इलाकों से भारतीय,चीनी सैनिकों की वापसी शुरू : सूत्र
चीनी और भारतीय सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी और दो अन्य इलाकों से “वापसी” शुरू कर दी है जो महीने भर से चले आ रहे गतिरोध के बातचीत के जरिये समाधान की दोनों पक्षों की इच्छा के संकल्प को दर्शाता है। सैन्य सूत्रों ने मंगलवार (9 जून) को यह जानकारी दी थी। उन्होंने कहा कि पैंगोंग सो और दौलत बेग ओल्डी जैसे इलाकों में हालांकि रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। सैनिकों की वापसी के संदर्भ में रक्षा मंत्रालय या विदेश मंत्रालय की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। इस मामले पर चीन की तरफ से भी कोई जानकारी नहीं दी गई है।