Ram Mandir Darshan Timing: अयोध्या में प्रभु श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंगलवार को उम्मीद से भी कई गुना अधिक पहुंचे राम भक्तों की भीड़ से पूरी व्यवस्था चरमरा गई. समूची अयोध्या में होटल, पांडाल, धर्मशाला हो या आश्रम, पूरी तरह भर गए हैं. बस अड्डे और रेलवे स्टेशन पर भी कहीं पैर रखने भर की जगह नहीं बची और देश के कोने कोने से आए राम भक्तों में प्रभु श्री रामलला का दर्शन करने की होड मच गई. ऐसे में प्रशासन द्वारा रामभक्तों के लिए किए गए मंदिर दर्शन के सारे प्रबंध ध्वस्त होते दिखे और अयोध्या से लेकर लखनऊ तक में हड़कंप मच गया.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आनन-फानन में दो बड़े अधिकारियों को अयोध्या भेजा बाद में वह खुद भी अयोध्या पहुँच गए. तब कहीं जाकर राम भक्तों को सुगमता के साथ रामलला का दर्शन करने की पुख्ता व्यवस्था हो सकी. अब यह व्यवस्था पुख्ता तरीके से कार्य करें इसे लेकर बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फिर से रामलला के दर्शन करने की व्यवस्था की समीक्षा की.
इस दौरान यह तय हुआ कि देश के प्रमुख नेता और अधिकारियों (वीआईपी दर्शनार्थियों) से यह अपील की जाए की वह अयोध्या में रामलला के दर्शन करने के लिए आने के एक सप्ताह पहले प्रशासन को अपने कार्यक्रम की जानकारी दें. हड़बड़ी में वह तुरंत दर्शन के लिए न आएं, बल्कि वे बाद में दर्शन के लिए पहुंचे, जिससे व्यवस्था बनाने में सहूलियत हो.
उक्त व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से लागू करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा है कि अयोध्या पहुंच रहे सभी रामभक्तों को रामलला का दर्शन मिले ये हमारा कर्तव्य है. लेकिन अयोध्या में रामलला के दर्शन के लिए पूरे देश से उमड़ रहे जनसैलाब को देखते हुए अयोध्या में कुछ कड़े फैसले लेना भी सरकार की मजबूरी है.
जिसके तहत ही प्रदेश सरकार की यह अपील है कि देश-प्रदेश के अति विशिष्ट, विशिष्ट और गणमान्यजन अयोध्या आने से एक सप्ताह पहले स्थानीय प्रशासन, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और राज्य सरकार को सूचित करें. ताकि उनको सुगमता के साथ रामलला का दर्शन कराया जा सके.
इसके साथ ही सीएम की अध्यक्षता में हुई बैठक में कई निर्देश भी दिए गए हैं. मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारियों के अनुसार, स्थानीय प्रशासन को कहा गया है कि वह मंदिर न्यास के बेहतर समन्वय के साथ क्राउड मैनेजमेंट करें. राम पथ, भक्ति पथ, धर्म पथ और जन्मभूमि पथ पर, जहां भी दर्शनार्थी हों, कतारबद्ध खड़े हों. भीड़ न लगे.
कतार चलायमान रहे. दर्शन के उपरांत जिस रूट के श्रद्धालु अधिक हों, उस ओर बसों को लगाकर श्रद्धालुओं को गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था हो. ऐसे रूट चिन्हित कर आवश्यकतानुसार रेलवे से कोऑर्डिनेट करते हुए ट्रेनों के संचालन के प्रयास होने चाहिए, ताकि कहीं पर भी भगदड़ ना मचे.