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राजस्थानः छात्र संघ चुनावों के नतीजे बताते हैं कि युवा किसी भी दल के वोट बैंक नहीं!

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: August 30, 2019 17:35 IST

राजस्थान में छात्र संघ चुनाव के नतीजों ने युवाओं की पसंद के बारे में काफी कुछ बयां किया है। एक तरफ पिछले विधानसभा चुनाव में जहां कांग्रेस और लोकसभा चुनाव में बीजेपी जीती तो वहीं, छात्रसंघ चुनाव के नतीजों ने युवाओं के रुझान के बारे में अलग ही कहानी पेश की है।

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ठळक मुद्देयुवाओं को वोटबैंक मानने वाले राजीनिक दलों के लिए ताजा छात्रसंघ चुनाव नतीजे सबक हो सकते हैं।छात्र संघ चुनाव नतीजों ने साबित किया है युवा किसी एक दल के वोट बैंक नहीं है।

राजस्थान का युवा किसी संगठन की विचारधारा के बंधन में नहीं है. छात्र संघ चुनावों के नतीजे बताते हैं कि युवा किसी भी दल के वोट बैंक नहीं हैं. जहां राजस्थान में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी, वहीं लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कामयाबी पाई थी, लेकिन अब छात्रसंघ के चुनावी नतीजे बताते हैं कि एनएसयूआई और एबीवीपी से हटकर निर्दलीय उम्मीदवारों को भी युवाओं ने पसंद किया है.

जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में हुए छात्रसंघ चुनावों के परिणाम में पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार ने चुनाव जीतकर दोनों छात्र संगठनों को आईना दिखा दिया है. इसी तरह दक्षिण राजस्थान के कई काॅलेज में स्थानीय मोर्चे ने जीत दर्ज करवा कर एनएसयूआई और एबीवीपी को इस क्षेत्र में अपनी बढ़ती ताकत का अहसास कराया है.

राजस्थान के छात्रसंध चुनाव परिणामों में छात्रों ने एनएसयूआई और एबीवीपी के अलावा निर्दलीय और बागी उम्मीदवारों पर भी बड़ा भरोसा किया है.

जहां एबीवीपी अजमेर, उदयपुर विश्वविद्यालय आदि में अध्यक्ष पद पर कब्जा करने में कामयाब रही, वहीं एनएसयूआई ने भी कई काॅलेजों और विभिन्न पदों पर जीत तो दर्ज की है, लेकिन खास बात यह है कि निर्दलीय भी बडी संख्या में जीत कर आए हैं.

राजस्थान विश्वविद्यालय में तो लगातार चौथी बार निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है, जहां एनएसयूआई की बागी प्रत्याशी पूजा वर्मा छात्रसंघ अध्यक्ष बनी है. एनएसयूआई के प्रत्याशी उत्तम दूसरे, तो एबीवीपी के अमित तीसरे स्थान पर रहे. 

अजमेर में एबीवीपी को अच्छी कामयाबी मिली है. महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में लगातार दूसरी बार एबीवीपी जीती है. अजमेर शहर के काॅलेजों में भी एबीवीपी का दबदबा रहा है, लेकिन ब्यावर, केकडी आदि में एनएसयूआई जीती है.

उधर, बीकानेर के महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय में अध्यक्ष पद पर निर्दलीय श्रवण जाखड़ चुनाव जीते हैं, किन्तु डूंगर काॅलेज, महारानी सुदर्शन कन्या काॅलेज आदि में एनएसयूआई को जीत मिली है.

उदयपुर में एबीवीपी को सफलता मिली है. मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय में छात्रसंघ अध्यक्ष पद पर एबीवीपी के निखिल राज राठौड़ जीते हैं. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रोद्यौगिकी विश्वविद्यालय में भी एबीवीपी के पवन जाट अध्यक्ष बने हैं. लेकिन, वागड़ के करीब आधा दर्जन महाविद्यालयों में एनएसयूआई और एबीवीपी, दोनों के हिस्से में हार आई है. इस क्षेत्र के बांसवाड़ा जिले के चार काॅलेजों में से एक में एबीवीपी, तीन में एनएसयूआई और एक में स्थानीय संगठन ने जीत दर्ज करवाई है.

कोटा में एबीवीपी का असर रहा है जहां पांच काॅलेजों में एबीवीपी के प्रत्याशी अध्यक्ष बने हैं, जबकि एनएसयूआई के हिस्से में केवल एक आया है. चार काॅलेजों में निर्दलीयों ने जीत दर्ज की है.

जाहिर है, युवाओं की सोच का असर आनेवाले नगरपालिका, पंचायत राज आदि चुनावों में नजर आएगा. मतलब... स्थानीय चुनाव कांग्रेस और बीजेपी, दोनों के लिए आसान नहीं होंगे!

टॅग्स :राजस्थानजयपुरभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)कांग्रेस
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