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राजस्थान: विधानसभाध्यक्ष ने विधायकों और मंत्रियों के व्यवहार पर नाराजगी जताई

By भाषा | Updated: March 10, 2021 18:51 IST

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जयपुर, 10 मार्च विधायकों व मंत्रियों द्वारा नियमों का पालन नहीं करने व अध्यक्षीय व्यवस्थाओं की अनदेखी से खफा विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने बुधवार को कहा कि अगर सदस्यों को उनके कठिन निर्णय पसंद नहीं हैं तो वे उन्हें अध्यक्ष पद से हटा दें।

शून्यकाल की शुरुआत में अध्यक्ष जोशी ने कहा कि सदस्य विभिन्न कमेटियों की बैठकों को लेकर गंभीर नहीं हैं।

उन्होंने नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में कुछ विभागों को बार-बार अतिरिक्त अनुदान दिए जाने व उसको लेकर किसी के द्वारा भी सवाल नहीं उठाए जाने का भी जिक्र किया।

जोशी ने कहा,'' अगर जनता के पैसे का सही उपयोग नहीं होता है तो मुझे सवाल पूछने होंगे। अगर मैं सवाल पूछता हूं तो मंत्री नाराज हो जाते हैं। आपने मुझे सर्वसम्मति से अध्यक्ष बनाया तो मुझे यह अप्रिय ड्यूटी करनी पड़ेगी और अगर आपको मुझमें विश्वास नहीं है तो आप मुझे कहें कि हम अध्यक्ष पद के लिए नया व्यक्ति चुनते हैं। तब भी मुझे खुशी होगी।''

दरअसल, प्रश्नकाल के दौरान विधायक रमेश मीणा ने सवाल पूछना चाहा लेकिन उनकी सीट पर माइक नहीं था। स्पीकर ने उनसे दूसरी सीट पर जाकर सवाल पूछने को कहा जिसे मीणा ने इनकार कर दिया और कहा कि वह अपनी ही सीट से सवाल पूछेंगे।

जैसे ही प्रश्नकाल समाप्त हुआ जोशी ने इस घटना की ओर इशारा करते हुए कहा,'' मुझे बहुत खेद है और मैं बहुत दुखी होता हूं कि माननीय सदस्य नियमों का पालन नहीं करते हैं।''

जोशी ने कहा, ''कोरोना के कारण हमने बैठने की व्यवस्था इस प्रकार से की है कि सभी सदस्य सदन में आकर बैठ सकें। सभी पार्टी के नेताओं को यह मालूम है कि हमने अतिरिक्त सीटों की व्यवस्था की, जहां सीटों पर माइक की व्यवस्था नहीं है।''

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सदन में बैठने की व्यवस्था अध्यक्ष नहीं करता है। बैठने की व्यवस्था पार्टी के मुख्य सचेतक बनाते हैं, विधानसभा अध्यक्ष उसे लागू करते हैं।

उन्होंने कहा, '' हमने सभी पार्टी के मुख्य सचेतक को कहा कि कुछ सीटों पर माइक नहीं हैं। इसलिए हमने कहा था कि आप पीछे जाकर माइक पर अपनी बात कह सकते हैं। मुझे खेद है कि सदन के एक वरिष्ठ सदस्य अपनी पार्टी के मुख्य सचेतक के निर्देश के बावजूद यह कार्रवाई नहीं करना चाहते।''

जोशी ने कहा,'' इस तरह से सदन चलेगा तो मैं सहन नहीं करूंगा। चाहे कोई नाराज हो या खुश हो।''

उन्होंने कहा, '' अगर मैं विपक्ष के वरिष्ठ सदस्य के बारे में कोई फैसला कर सकता हूं तो मैं अपेक्षा करता हूं कि सरकारी पक्ष की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह भी नियमों व कानूनों का उसी तरह से पालन करे जिस तरह से अध्यक्ष ने व्यवस्था दी है।''

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, ''यह खेद का विषय है कि मेरे द्वारा फैसला किए जाने के बावजूद भी शून्य काल व स्थगन प्रस्ताव जहां हमने निर्णय किया कि सदस्य की भावना को समझने के लिए मंत्री बैठे रहेंगे लेकिन मुझे कहते हुए खेद है कि मंत्री स्थगन प्रस्ताव और 295 पर चर्चा के दौरान सदन में नहीं बठते हैं। यदि आप सदन और अध्यक्ष की गरिमा नहीं बनाए रखना चाहते हैं तो मुझे कोई तकलीफ नहीं, आपने मुझे चुना है आप मुझे हटा दें मुझे बहुत खुशी होगी लेकिन जब तक मैं इस कुर्सी पर बैठा हूं मैं निष्पक्ष रूप से निर्णय लागू करने का काम करूंगा। चाहे पक्ष हो या विपक्ष।''

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह ''मौन विधानसभाध्यक्ष'' नहीं बनना चाहते।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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