जम्मूः डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी (डीएपी) के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस की राजस्थान इकाई के घटनाक्रम पर सवालों से बचते नजर आए और कहा ‘जिस गांव जाना नहीं, उसकी बात क्यों करना।’ आजाद (73) ने 26 अगस्त को कांग्रेस के साथ पांच दशक से अधिक लंबा अपना नाता तोड़ लिया और ठीक एक महीने बाद यहां अपनी पार्टी गठित की।
आजाद ने अपनी नयी पार्टी के गठन के दौरान राजस्थान के घटनाक्रम के बारे में पूछे जाने पर सोमवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘जिस गांव जाना नहीं, उसकी बात क्यों करना। वो अपने आप देखें, अपने आप संभालें। हम बहुत भुगत चुके हैं, अब दूसरों को भी देखने दो।’’
राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर राजनीतिक घमासान सोमवार को भी जारी रहा, जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वफादार विधायक कांग्रेस विधायक दल की बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं हुए जिसे पार्टी ने प्रथमदृष्टया अनुशासनहीनता माना है।
कांग्रेस विधायकों ने जताई आलाकमान में निष्ठा, कहा- फैसला करने से पहले हमारी बात सुनी जाए
राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस द्वारा मुख्यमंत्री बदले जाने की सुगबुगाहट और उसके बाद के घटनाक्रम के बीच कांग्रेस के अनेक विधायकों व मंत्रियों ने पार्टी आलाकमान में निष्ठा जताई है। हालांकि उन्होंने कहा है कि राज्य में किसी भी बदलाव से पहले उनकी बात सुनी जाए।
विधानसभा में मुख्य सचेतक, मंत्री महेश जोशी ने कहा कि गहलोत समर्थक विधायकों की मांग है कि दो साल पहले के संकट के समय सरकार के साथ खड़े रहे विधायकों में से ही किसी को मुख्यमंत्री बनाया जाए। उन्होंने कहा, ‘‘पहली बात यह कहना गलत है कि हम आलाकमान के प्रतिनिधियों (पर्यवेक्षकों) से नहीं मिले। अंतर इतना है कि 85-90 लोग इकट्ठा होते हैं।
वे अपनी बात कहते हैं और वे हमें कहते हैं कि आप जाकर हमारी बात पहुंचा दीजिए।’’ जोशी ने कहा, ‘‘हमने जाकर पर्यवेक्षकों से कहा कि विधायकों की यह मर्जी है कि जिन लोगों ने सरकार को कमजोर करने, गिराने की कोशिश की, जिन्होंने पहले अनुशासनहीनता की, जिन्होंने पहले बगावत की उनमें से किसी को छोड़कर पार्टी आलाकमान जिस किसी को भी चाहे मुख्यमंत्री बनाए। यह हमारी मांग थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने कभी नहीं कहा कि इसे प्रस्ताव में लिखा जाए। शायद हम समझा नहीं पाए या वे समझ नहीं पाए। लेकिन हमने कभी प्रस्ताव में संशोधन की बात नहीं की। हमारी निष्ठा असदिंग्ध है। हम पार्टी व आलाकाकमान के प्रति पूरी तरह से निष्ठावान हैं। जो आलाकमान का आदेश होगा उसे अंतिम रूप से हम भी स्वीकार करेंगे लेकिन उससे पहले हम चाहते हैं कि आलाकमान तक हमारी बात पहुंचे।’’
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक रविवार रात मुख्यमंत्री निवास पर होनी थी लेकिन गहलोत के वफादार अनेक विधायक इसमें नहीं आए। इन विधायकों ने संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के बंगले पर बैठक की और फिर वहां से विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी से मिलने गए और उन्हें अपने इस्तीफे सौंप दिए।
कितने विधायकों ने इस्तीफे दिए या उन पर कार्रवाई के बारे में विधानसभा अध्यक्ष कार्यालय की ओर से अभी तक कुछ नहीं कहा गया है। वहीं, मुख्यमंत्री गहलोत के वफादार कद्दावर मंत्री, संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के घर रविवार रात हुई बैठक का एक वीडियो वायरल हुआ। इसमें धारीवाल यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि अगर अशोक गहलोत को बदला गया तो कांग्रेस को नुकसान होगा।
धारीवाल ने कहा कि आलाकमान में बैठा हुआ कोई आदमी यह बता दे कि अशोक गहलोत के पास कौन से दो पद हैं, जो उनसे इस्तीफा मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी उनके पास केवल मुख्यमंत्री का पद है और जब दूसरा पद मिलेगा तब (इस्तीफे की) कोई बात उठेगी। उन्होंने विधायकों से कहा कि वे संभल जाएं तो राजस्थान बचेगा, वरना राजस्थान भी हाथ से निकल जाएगा।
कांग्रेस नेता सचिन पायलट के वफादारों का समूह राज्य के पूरे घटनाक्रम पर चुप्पी साधे हुए है और मीडिया के सामने ज्यादा बोलने से परहेज कर रहा है। पायलट के वफादार खिलाड़ी लाल बैरवा ने हालांकि कहा, ‘‘हम आलाकमान के साथ हैं। जो भी फैसला होगा वह स्वीकार होगा। हमने कल भी यही कहा था।’’
विधायक दिव्या मदेरणा ने कहा कि वह ‘व्यक्ति पूजा’ नहीं, सिर्फ ‘कांग्रेस की पूजा’ करती हैं। वहीं, इस राजनीतिक सरगर्मी के बीच अनेक विधायक सोमवार को धारीवाल के बंगले पर पहुंचे, जबकि विधानसभा अध्यक्ष जोशी, मुख्यमंत्री के सलाहकार और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा, कृषि मंत्री लालचंद कटारिया, सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने पोलो ग्राउंड में पोलो मैच का लुत्फ उठाया।