जयपुर, 13 अक्टूबर: राजस्थान के जयपुर में पिछले कुछ दिनों से जीका वायरस का कहर जारी है। ताजा मामलो में जिले में लगभग 50 लोगों के टेस्ट पॉजिटिव पाया गया है। इससे आसपास इलाके में जीका वायरस को लेकर दहशत फैल गई है। इससे पहले भी कई लोगों में जीका वायरस का प्रभाव देखा गया था।
एएनआई के मुताबिक जयपुर जिले में कुल 50 लोगों के टेस्ट में पॉजिटिव रिजल्ट पाए गए हैं। इससे पहले जीका वायरस के अकेले शास्त्री नगर इलाके में 29 मामले पॉजिटिव पाये गए थे। ये जानकारी उस समय सामने आई थी जब पीएमओ द्वारा रिपोर्ट मांगी गई थी।
क्या है जीका वायरस
जीका वायरस एडीज मच्छर से फैलता है। जीका वायरस का पहला मामला वर्ष 1947 में युगांडा में पाया गया था। इसके बाद दशकों तक इसके बेहद कम मामले सामने आए जिस कारण वैज्ञानिकों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। लेकिन 2013 के बाद और विशेषकर 2015 में इसके कई मामले सामने आए और ब्राजील की एक बड़ी आबादी इसकी चपेट में आने लगी। जीका वायरस से प्रभावित शख्स को काफी तेज बुखार आता है, जोड़ों में दर्द होता है और शरीर पर रेशेज (लाल धब्बे) हो जाते हैं।
जीका वायरस को लेकर 26 हजार घरों में कराया गया सर्वे
इससे पहले जीका वायरस को लेकर लगभग 26 हजार घरों का सर्वे कराया गया था, जिसमें अकेले शास्त्री नगर इलाके से 450 संदिग्ध लोगों के सैंपल लिए गए थे। इन सैंपलों में 29 पॉजिटिव मामले सामने आए थे। वहीं, इन 450 संदिग्ध में से 160 गर्भवती महिलाएं थीं, जिन्हें सबसे ज्यादा जीका का खतरा होता है।
कुछ दिन पहले मुख्य सचिव ने जीका रोग से बचाव और आमजन को इस संबंध में जागरुक करने के लिए अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश देते हुये कहा कि यह रोग प्राणघातक नही हैं और मच्छरों की रोक थाम कर इस रोग से बचा जा सकता है।
मुख्य सचिव ने बताया कि जीका वायरस से सम्बधित सभी जांच सुविधायें एवं आवश्यक दवाईयां एसएमएस अस्पताल में उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि सरकार जीका वायरस से बचाव के लिए पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने कहा कि जीका वायरस से घबराने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि इससे बचाव के तौर-तरीकों से आमजन को जागरुक बना कर हम इस बीमारी से बच सकते हैं।
उन्होंने कहा कि जीका वायरस मच्छर जनित बीमारी है, इसलिए सबसे पहले हमें साफ सफाई और मच्छर रहित, साफ-सुथरा वातावरण बनाना होगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए स्कूलों में प्रार्थना सभा में छात्र-छात्राओं को जागरूक किया जा सकता है । इसके अतिरिक्त जुम्मे की नमाज, रामलीला जैसे सार्वजनिक अवसरों पर भी इस रोग से बचाव के तरीको से आम जनता को जागरूक किया जा सकता है।