पटनाः बिहार का राघोपुर विधान सभा सीट वैशाली लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। यह सीट बिहार के सबसे ज्यादा हाई प्रोफाइल सीटों में शुमार रहा है। राघोपुर राजद का गढ़ है और इस सीट पर लालू परिवार का वर्चस्व रहा है। राघोपुर विधानसभा सीट से लालू यादव, राबड़ी देवी और उनके बेटे तेजस्वी यादव ने यहां से जीत दर्ज की है। दरअसल, राघोपुर सीट यादव बहुल इलाका है।
इस विधानसभा सीट के अंदर दो ब्लॉक (राघोपुर और बिदुपुर) आता है। यादवों के अलावा राजपूतों की भी यहां अच्छी आबादी है। राजद के दिवंगत नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह का भी इस इलाके में अच्छा खासा प्रभाव रहा है। करीब डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय से इस सीट पर लालू यादव और उनके परिवार का दबदबा रहा है।
राघोपुर सीट से पहली बार 1995 में लालू यादव ने किस्मत आजमाया था। उनके लिए तत्कालीन सीटिंग विधायक उदय नारायण राय ने सीट छोड़ी थी। उसके बाद वहां से लालू यादव दो बार 1995 और 2000 में विधायक चुने गए। 2005 में उनकी सियासी विरासत पत्नी राबड़ी देवी ने संभाला लेकिन 2010 के चुनाव में राबड़ी देवी को जदयू के सतीश यादव से मुंह की खानी पड़ी।
2015 में जब लालू यादव और नीतीश कुमार का मिलन हुआ, तब इस सीट से लालू यादव के छोटे लाल तेजस्वी यादव की सफल लॉन्चिंग कराई गई। उस वक्त जदयू के सीटिंग विधायक सतीश कुमार यादव ने विद्रोह का बिगुल फूंकते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था। इस बार राघोपुर विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला राजद और भाजपा के बीच होने की संभावना है।
दरअसल इस बार के चुनाव में राजद की तरफ से तेजस्वी यादव का खड़ा होना लगभग तय है। वहीं भाजपा में देखना होगा कि क्या इस बार सतीश कुमार को 2015 और 2020 के चुनाव में मिली हार के बाद उन्हें इस बार मैदान में खड़ा किया जाता है या नहीं? ऐसे में सभी की निगाहें राघोपुर पर टिकी होगी।