आज अंबाला आ रहे हैं 5 राफेल, वायुसेना प्रमुख करेंगे रिसीव, जानें क्या-क्या हैं इंतजाम
By पल्लवी कुमारी | Updated: July 29, 2020 07:05 IST2020-07-29T07:05:24+5:302020-07-29T07:05:24+5:30
राफेल विमान भारत द्वारा पिछले दो दशक से अधिक समय में लड़ाकू विमानों की पहली बड़ी खरीद है। इन विमानों के आने से भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता में महत्वपूर्ण रूप से बढ़ोत्तरी होने की संभावना है। भारत ने 23 सितंबर 2016 को फ्रांसीसी एरोस्पेस कंपनी दसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 59,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था।

राफेल फाइटर जेट्स (तस्वीर स्त्रोत- Dassault Aviation - M Alleaume)
अंबाला: भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया आज (29 जुलाई) दोपहर अंबाला हवाई अड्डे पर पांच राफेल लड़ाकू विमान की अगवानी और स्वागत करेंगे। जेट विमानों ने सोमवार (27 जुलाई) को फ्रांसीसी शहर बोर्डो में मेरिनैक एयर बेस से उड़ान भरी थी। पांच लड़ाकू विमानों का यह बेड़ा आज दोपहर अंबाला एयरबेस पर पहुंच रहा है। राफेल विमान भारत द्वारा पिछले दो दशक से अधिक समय में लड़ाकू विमानों की पहली बड़ी खरीद है। इन विमानों के आने से भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता में महत्वपूर्ण रूप से बढ़ोत्तरी होने की संभावना है।
जानें अंबाला में क्या-क्या इतंजाम किए गए हैं
राफेल लड़ाकू विमानों के आने के पहले मंगलवार (28 जुलाई) को अंबाला वायु सेना केंद्र के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गयी और निषेधाज्ञा लागू की गयी है। वहां वीडयोग्राफी और फोटो खिंचने पर रोक लगा दी गई है। वहीं अंबाला जिला प्रशासन ने वायुसेना केंद्र के तीन किलोमीटर के दायरे में लोगों के ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
उपायुक्त अशोक शर्मा ने एक आदेश में कहा कि धुलकोट, बलदेव नगर, गरनाला और पंजखोड़ा समेत वायु सेना के आसपास के गांवों में धारा 144 लगा दी गयी है जिसके तहत चार या अधिक लोगों के जमा होने पर प्रतिबंध है। प्रशासन हाई अलर्ट पर है।
अंबाला के उपायुक्त ने कहा कि निषेधाज्ञा लागू रहने के दौरान वायु सेना केंद्र की चहारदीवारी और आसपास के इलाके का वीडियो बनाने और तस्वीरें लेना प्रतिबंधित है। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि अंबाला पुलिस ने आवश्यक कदम उठाए हैं।
राफेल को औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना में शामिल करने के लिए किया जाएगा समारोह
ये विमान लगभग 7,000 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद बुधवार दोपहर को अंबाला पहुंचेंगे। इन विमानों को आज दोपहर में भारतीय वायुसेना में स्क्वाड्रन नम्बर 17 में शामिल किया जाएगा, जिसे 'गोल्डन एरोज' के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि, इन विमानों को औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना में शामिल करने के लिए मध्य अगस्त के आसपास समारोह आयोजित किया जाएगा जिसमें रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और देश के शीर्ष सैन्य अधिकारियों के शामिल होने की उम्मीद है।
क्यों है अंबाला एयरबेस भारतीय वायुसेना के लिए महत्वपूर्ण
फ्रांस से अंबाला तक अपनी लंबी उड़ान के बीच ये पांचों विमान करीब सात घंटे से अधिक समय तक उड़ान भरने के बाद संयुक्त अरब अमीरात में अल दफरा एयरबेस पर उतरे थे। पहला राफेल जेट पिछले साल अक्टूबर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की फ्रांस यात्रा के दौरान भारतीय वायुसेना को सौंपा गया था। राफेल जेट का पहला स्क्वाड्रन अंबाला एयरबेस पर जबकि दूसरा पश्चिम बंगाल के हासिमारा बेस पर रहेगा।
अंबाला एयरबेस को भारतीय वायुसेना का महत्वपूर्ण बेस माना जाता है क्योंकि यहां से भारत-पाकिस्तान सीमा महज 220 किलोमीटर की दूरी पर है। भारत ने जो 36 राफेल विमान खरीदे हैं उनमें से 30 लड़ाकू विमान जबकि छह प्रशिक्षु विमान हैं।
छह राफेल प्रशिक्षु विमानों की पूंछ पर आरबी श्रृंखला की संख्या अंकित होगी। आरबी एयर चीफ मार्शल आर.के.एस. भदौरिया के नाम के पहले और अंतिम शब्द का संक्षिप्त रूप होगा। उन्होंने इस सौदे में मुख्य वार्ताकार के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

