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राफेल डील विवादः SC में चार घंटे बाद सुनवाई खत्म, क्यों वायुसेना के अधिकारियों को बीच में करना पड़ा तलब

By जनार्दन पाण्डेय | Updated: November 14, 2018 15:41 IST

राफेल विमानों के सौदे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई खत्म हो गई है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की मांग को देखते हुए फिलहाल फैसला सुरक्षित रख लिया है।

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राफेल विमानों के सौदे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई खत्म हो गई है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की मांग को देखते हुए फिलहाल फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई करीब साढ़े चार घंटे तक चली।

मामले पर तीन जजों की बेंच सुनवाई किया। इस दौरान राफेल डील को लेकर कई फाइलें खुलीं। इसमें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई सभी पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनीं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने वायुसेना के अधिकारियों को तलब किया। इसके बाद आनन फानन में वायुसेना के एक एयर मार्शल और चार वाइस एयर मार्शल कोर्ट पहुंचे। बताया जा रहा है कि कोर्ट वायुसेना का पक्ष भी जानना चाहती थी।

टीवी रिपोर्ट्स के अनुसार याचिकाकर्ता के वकील ने कहा, राफेल विमानों के सौदे में भारी गड़बड़ी हुई है। इस डील को कैंसिल किया जाए। पहले वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और अरुण शौरी ने अपने पक्ष रखे। इसके बाद केंद्र सरकार के वकील ने अपना पक्ष रखा और कोर्ट ने बीच में ही भारतीय वायुसेना के चीफ 

जानकारी के अनुसार, कोर्ट में पहले वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने अपने पक्ष रखे। उन्होंने कहा कि राफेल विमानों के सौदे में भ्रष्टाचार हुआ है। उन्होंने कोर्ट से मांग की कि वे सौदे को लेकर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से एफआईआर दर्ज करने को कहे।

इस दौरान याचिकाकर्ताओं ने राफेल विमान सौदे को रद्द करने की मांग की। उन्होंने गड़बड़ी के मद्देनजर इस डील के तहत एक भी विमान भारत ना लाने की संस्तुति की। याचिकाकर्ताओं ने कहा, सौदा पहले से तय था तो पीएम ने बाद में उसमें कैसे बदलाव किए।

साथ ही याचिकाकर्ताओं ने मामले की सुनवाई के लिए पांच जजों की बेंच को मामला सौंपने की मांग की। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने सीलबंद लिफाफे में राफेल विमान की कीमत की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को 12 नंवबर को दी थी।

याचिकाकर्ताओं को सौंपी गई करीब 14 पन्ने की जानकारी में सरकार ने कहा है कि उसने रक्षा खरीद पर पिछली सरकार की तरफ से 2012 में तय प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया है।

केंद्र सरकार के वकील ने कहा, नहीं हुई है कोई गड़बड़ी

केन्द्र सरकार के वकील ने बताया कि सीलबंद लिफाफे में न्यायालय को इन विमानों की कीमतों से अवगत कराया गया है। शीर्ष अदालत ने 31 अक्टूबर को केन्द्र सरकार से कहा था कि इन 36 लड़ाकू विमानों की कीमतों का विवरण दस दिन के भीतर पेश किया जाये।

संसद को भी नहीं बताई गई थी राफेल विमानों की कीमत

हालांकि, इस मामले में सुनवाई की पिछली तारीख पर केन्द्र विमानों की कीमतों का विवरण देने के लिये अनिच्छुक था और अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा भी था कि इनकी कीमतों को संसद से भी साझा नहीं किया गया है।

शीर्ष अदालत 36 लड़ाकू राफेल विमानों की कीमतों के बारे में सीलबंद लिफाफे में पेश किये गये इस विवरण का 14 नवंबर को अवलोकन करेगी। न्यायालय में राफेल सौदे से संबंधित याचिकाएं 14 नवंबर को सुनवाई के लिये ही सूचीबद्ध हैं।

लंबा बढ़ चुका है विवाद

राफेल विमानों की खरीदारी को लेकर कांग्रेस लगातार पीएम मोदी पर हमालवर है। आरोप है कि पीएम मोदी ने उद्योगपति अनिल अंबानी को राफेल डील में फायदा पहुंचाया है। फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने भी कहा था कि पीएम मोदी ने अनिल अंबानी की कंपनी का नाम सुझाया था और भारत की ओर से इस कंपनी के अलावा किसी और कंपनी को राफेल विमानों के बनाने की जिम्मदारी सौंपे जाने की जानकारी नहीं दी गई थी।

बाद में फ्रांस में राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट के सीईओ ने कहा कि सौदे में कोई गड़बड़ी नहीं है।

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