पटना:बिहार के कृषि मंत्री और राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह द्वारा नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा दे दिये जाने के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या महागठबंधन की सरकार के भीतर सब कुछ ठीकठाक चल रहा है?
आज गांधी जयंती के अवसर पर सुधाकर सिंह ने अपना इस्तीफा सरकार को भेज कर सबको चौंका दिया है। इससे पहले सरकार एक आपराधिक मामले में कोर्ट से वारंट जारी होने पर नीतीश कैबिनेट के राजद कोटे से मंत्री कार्तिकेय सिंह को भी इस्तीफा देना पड़ा था।
इस तरह राज्य में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद से ही विवादों का दौर जारी है। राज्य की मुख्य विपक्षी दल भाजपा भ्रष्टाचार और आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त लोगों को मंत्री बनाये जाने को लेकर नीतीश कुमार को कटघरे में खड़ा करती रही है। बता दें कि सरकार बनने के बाद से सुधाकर सिंह लगातार नीतीश सरकार को अपने बयानों से असहज स्थिति पैदा कर रहे थे। पिछले कई दिनों से अपने विवादास्पद बयानों को लेकर कृषि मंत्री सुधाकर सिंह चर्चा में थे।
उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा था कि उनके कृषि विभाग में सभी चोर भरे पड़े हैं और वे उन चोरों के सरदार हैं। वहीं, कुछ दिनों पूर्व उन्होंने कहा था कि माप तौल अधिकारी मिलें तो उन्हें जूतों से मारिए। रामगढ़ से राजद विधायक सुधाकर सिंह ने यह भी कहा था कि दो सौ करोड़ रुपए का बीज निगम ही खा जाता है। इसके साथ ही सुधाकर सिंह नीतीश सरकार के कृषि रोड मैप पर भी काफी तीखे सवाल खड़े कर दिए थे।
इस संबंध में सुधाकर सिंह ने कहा कि वे सरकार के लिए समस्या नहीं बनना चाहते थे। हम बात को आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे। किसानों की समस्या और कृषि विभाग में फैले भ्रष्टाचार को लेकर कई बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का ध्यान सुधाकर सिंह ने आकृष्ट कराने का प्रयास किया था।
बता दें कि कैबिनेट की बैठक में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ सुधाकर सिंह की नोकझोंक हुई थी। अधिकारियों को भी चेताया था। अभी तक सुधाकर सिंह को निजी सचिव (पीएस) भी नहीं दिया गया था। वह कृषि सचिव एन सरवन कुमार को नहीं हटाने को लेकर खफा चल रहे थे।
उधर, राज्य की मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने सुधाकर सिंह के इस्तीफे का स्वागत किया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल ने कहा कि सुधाकर सिंह भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार आवाज उठा रहे थे। लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनकी एक भी बात सुनने को तैयार नहीं थे।