लाइव न्यूज़ :

गुजरात सरकार अस्पतालों में आग पर जांच आयोग की रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखे: न्यायालय

By भाषा | Updated: August 27, 2021 22:04 IST

Open in App

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को गुजरात सरकार को अगले विधानसभा सत्र के पहले दिन न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) डीए मेहता की अध्यक्षता वाले जांच आयोग की एक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा, जिसने राजकोट और अहमदाबाद के अस्पतालों में आग की दो घटनाओं की जांच की थी। आग की इन घटनाओं में 13 मरीजों की मौत हो गई थी। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह गुजरात सरकार को अदालत की राय से अवगत कराएं, ताकि रिपोर्ट सदन में पेश की जा सके। मेहता ने कहा कि यह उचित होगा कि किसी को भी रिपोर्ट देने से पहले उसे सदन में पेश करने की अनुमति दी जाए अन्यथा यह गलत मिसाल कायम करेगा। मेहता ने कहा, ‘‘अगला सत्र सितंबर में होना है। मैं सरकार से जल्द से जल्द रिपोर्ट सदन में पेश करने का अनुरोध करूंगा।’’ साथ ही तीन हफ्ते का समय देने का भी अनुरोध किया। पीठ ने कहा कि आग की घटना के पीड़ितों के वकील आयोग की रिपोर्ट मांग रहे हैं, जिसे सदन में पेश किए जाने तक देना उचित नहीं होगा। कुछ पीड़ित परिवारों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि उन्हें मुआवजा दिया जाए और आयोग की रिपोर्ट भी उनके साथ साझा की जाए, ताकि वे अपना जवाब दाखिल कर सकें। दवे ने कहा कि आयोग ने पीड़ितों से बात किए बिना ही रिपोर्ट तैयार कर ली और उन्हें रिपोर्ट की जानकारी नहीं है। शीर्ष अदालत का आदेश कोविड​​-19 रोगियों के उचित उपचार और अस्पतालों में शवों के सम्मानजनक निस्तारण पर एक स्वत: संज्ञान लिए गए मामले की सुनवाई पर आया है। न्यायालय ने पिछले साल अस्पतालों में आग की घटनाओं के बारे में संज्ञान लिया था। सुनवाई के दौरान, पीठ ने गुजरात सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनीषा लवकुमार से पूछा कि राज्य द्वारा यह अधिसूचना किन प्रावधानों के तहत अस्पतालों के लिए भवन उप-नियमों के उल्लंघन को सुधारने के वास्ते तीन महीने तक बढ़ा दी गई, और कैसे यह अधिसूचना टिक सकती है। अधिवक्ता ने जवाब दिया कि गुजरात नगर नियोजन और शहरी विकास कानून की धारा 122 के तहत अधिसूचना जारी की गई और कहा कि सरकार ने कोविड​​-19 की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए ‘‘व्यावहारिक’’ दृष्टिकोण अपनाया। धारा 122 के तहत नगर नियोजन और शहरी विकास कानून के कुशल प्रशासन के लिए राज्य सरकार के पास आदेश पारित करने की शक्ति निहित है। पीठ ने लवकुमार से कहा कि अधिसूचना द्वारा जिस भवन के पास वैध अनुमति नहीं थी या जो उप-नियमों या विकास नियंत्रण नियमों का उल्लंघन कर रहे थे, उन्हें माफ कर दिया गया तथा नगर निकायों को उनके खिलाफ कोई भी कठोर कार्रवाई करने से रोक दिया गया। शीर्ष अदालत ने 19 जुलाई को कहा था कि अस्पताल कोविड-19 त्रासदी की स्थिति में मानवता की सेवा करने के बजाय विशाल रियल एस्टेट उद्योगों की तरह हो गए हैं, जबकि आवासीय कॉलोनियों में 2-3 कमरों के फ्लैटों से चलने वाले ‘नर्सिंग होम’ को बंद करने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने अस्पतालों के लिए भवन उप-नियमों के उल्लंघन को सुधारने के लिए अगले साल जुलाई तक की समय सीमा बढ़ाने को लेकर राज्य सरकार की खिंचाई की थी। शीर्ष अदालत ने पिछले साल गुजरात के राजकोट के कोविड-19 ​​अस्पताल में आग की घटना का संज्ञान लिया था जिसमें पांच मरीजों की मौत हो गई थी। पीठ ने इसका संज्ञान लिया था कि गुजरात सरकार ने उदय शिवानंद अस्पताल, राजकोट में आग की घटना की जांच के अलावा, श्रेय अस्पताल, नवरंगपुरा, अहमदाबाद में आग के संबंध में जांच करने के लिए न्यायमूर्ति डी ए मेहता के नेतृत्व वाला आयोग नियुक्त किया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतSupreme Court: बांग्लादेश से गर्भवती महिला और उसके बच्चे को भारत आने की अनुमति, कोर्ट ने मानवीय आधार पर लिया फैसला

भारतआपको बता दूं, मैं यहां सबसे छोटे... सबसे गरीब पक्षकार के लिए हूं, जरूरत पड़ी तो मध्य रात्रि तक यहां बैठूंगा, प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा

स्वास्थ्यखतरनाक धुएं से कब मुक्त होगी जिंदगी?, वायु प्रदूषण से लाखों मौत

भारतसुप्रीम कोर्ट ने कॉमेडियन समय रैना को सफलता की कहानियों वाले दिव्यांग लोगों को शो में बुलाने और इलाज के लिए पैसे जुटाने का दिया निर्देश

भारत"कोर्ट के पास कोई जादू की छड़ी नहीं है...", दिल्ली में वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई