पूर्वांचल की जनता ने भाजपा को दिया तगड़ा झटका! 27 में से 16 सीटें इंडिया गठबंधन को मिली

By राजेंद्र कुमार | Updated: June 5, 2024 18:51 IST2024-06-05T18:50:35+5:302024-06-05T18:51:55+5:30

इस बार के चुनाव में इंडिया गठबंधन ने आजमगढ़, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, मछलीशहर, बलिया, बस्ती, संतकबीर नगर, चंदौली, राबर्टसगंज, इलाहाबाद, लालगंज, जौनपुर, गाजीपुर, श्रावस्ती, घोसी और अंबेडकरनगर पर भी कब्जा कर लिया।

Purvanchal gave a big blow to BJP India alliance got 16 out of 27 seats loksabha chunav | पूर्वांचल की जनता ने भाजपा को दिया तगड़ा झटका! 27 में से 16 सीटें इंडिया गठबंधन को मिली

(फाइल फोटो)

Highlightsपूर्वांचल की जनता ने भाजपा को दिया तगड़ा झटकापूर्वांचल की 27 में से 16 सीटें इंडिया गठबंधन को मिली जो मजबूत किले बंदी की थी वह इस चुनाव में बिखरने लगी है

लखनऊ: दस साल पहले पीएम मोदी ने वाराणसी से चुनाव लड़ने का फैसला कर यूपी के पूर्वांचल क्षेत्र में जो मजबूत किले बंदी की  थी वह इस चुनाव में बिखरने लगी है। पूर्वांचल की जनता ने इस क्षेत्र के 27 में से 16 सीटों पर इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों को चुनाव जिताकर इसे साबित किया है। यह हाल भी तब है जब काशी (वाराणसी) को अत्याधुनिक शहर बनाने में करोड़ों रुपए बीते दस वर्षों में खर्च किए है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार वाराणसी सीट चुनाव लड़ा। इसके बाद भी इस चुनाव में पूर्वांचल क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सीटें घट गई। भाजपा के लिए पूर्वांचल क्षेत्र का ये चुनाव परिणाम एक बड़ा झटका है।

भाजपा को नौ सीटों का हुआ नुकसान 

भाजपा और एनडीए ने वर्ष 2014 और वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल क्षेत्र में आने वाली 27 लोकसभा सीटों में से 20 सीटें जीतकर एक मानक सेट किया था। जिसे इस चुनाव में अखिलेश और राहुल गांधी ही जोड़ी ने डेंट पहुंचाया है। बीते लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) पूर्वांचल क्षेत्र की सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल करने में सफल हुई थी। जबकि तब भाजपा ने पूर्वांचल क्षेत्र की 27 सीटों में से 18 पर और उसकी सहयोगी अपना दल (एस) ने दो सीटें और बसपा छह सीटों पर जीत हासिल करने में सफल हुई थी। परन्तु इस बार के चुनाव में सपा ने पूर्वांचल क्षेत्र की 15 सीटों और कांग्रेस ने इलाहाबाद ही सीट पर जीत हासिल कर भाजपा के सामने कड़ी चुनौती पेश ही है। जबकि इस क्षेत्र में भाजपा को सिर्फ 10 सीटों पर जीत हासिल हुई और उसकी सहयोगी अपना दल (एस) के खाते में रही दो में सिर्फ एक ही सीट पर जीत मिली। मतदाताओं के इस फैसले के चलते पूर्वांचल क्षेत्र में पिछली बार की तुलना में इस बार हुए 9 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है। यह भाजपा के लिए बड़ा झटका है। जबकि पूर्वांचल में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओपी राजभर से भाजपा ने चुनाव के पहले तालमेल कर उन्हे एनडीए में शामिल किया था। इसके बाद भी पूर्वांचल क्षेत्र में भाजपा का सीटें घट गई। 

इन कारणों से घटी सीटें : 

पूर्वांचल क्षेत्र की आजमगढ़ सीट पर सपा को 2019 में जीत मिली थी। तब अखिलेश यादव इस सीट से चुनाव जीते थे, लेकिन विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने यह सीट छोड़ दी तो उप चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर कब्जा जमा लिया था। इस बार के चुनाव में इंडिया गठबंधन ने ना सिर्फ इस सीट पर बल्कि सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, मछलीशहर, बलिया, बस्ती, संतकबीर नगर, चंदौली, राबर्टसगंज, इलाहाबाद, लालगंज, जौनपुर, गाजीपुर, श्रावस्ती, घोसी और अंबेडकरनगर पर भी कब्जा कर लिया। पूर्वांचल क्षेत्र में इंडिया गठबंधन की सफलता की क्या वजह है? इस बारे में राजनीति के जानकारों का कहना है कि पूर्वांचल में भाजपा का प्रदर्शन खराब रहने के प्रमुख वजह पार्टी के कार्यकर्ताओं में मायूसी और बाहरी लोगों को चुनाव लड़ना तथा जिन नेताओं से लोग खफा थे उन्हे फिर से चुनाव मैदान में उतारा जाना है। वही दूसरी तरफ अखिलेश और राहुल की जोड़ी ने गैर यादव ओबीसी तथा दलित नेताओं पर ध्यान केन्द्रित किया। इंडिया गठबंधन की इस सोशल इंजीनियरिंग की काट भाजपा नेताओं ने नहीं की और भाजपा के इस अभेद किले में सेंध लगाने में इंडिया गठबंधन सफल हो गया।

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