पंजाब सरकार का किसानों को तोहफा: अब मूंग दाल की फसल पर मिलेगी MSP, देखें सीएम भगवंत मान का वीडियो
By मनाली रस्तोगी | Published: May 6, 2022 01:24 PM2022-05-06T13:24:47+5:302022-05-06T13:27:21+5:30
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मूंग दाल (मसूर) पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा की है। इसके साथ ही सीएम ने किसानों को आश्वासन दिया कि अगर वे आगे बढ़ते हैं और इसकी खेती करते हैं तो सरकार फसल उठा लेगी।
चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शुक्रवार को मूंग दाल (मसूर) पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा की और किसानों को आश्वासन दिया कि अगर वे आगे बढ़ते हैं और इसकी खेती करते हैं तो सरकार फसल उठा लेगी। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब राज्य सरकार ने एमएसपी पर धान या गेहूं के अलावा अन्य फसल खरीदने का वादा किया। बता दें कि सीएम मान ने ट्विटर पर एक वीडियो मैसेज पोस्ट किया है।
इस वीडियो में मान ने कहा, "पंजाब के इतिहास में पहली बार हो जा रहा है कि गेहूं और धान के अलावा किसी और फसल पर भी एमएसपी मिले। आपकी सरकार ने मुंगी की फसल पर भी एमएसपी देने का फैसला लिया है, इसके बाद किसान धान की 126 किस्म और बासमती लगा सकते हैं। पंजाब सरकार किसानों को बासमती पर भी एमएसपी देगी।"
पंजाब के इतिहास में पहली बार हो जा रहा है कि गेहूं और धान के अलावा किसी और फसल पर भी MSP मिले
— Bhagwant Mann (@BhagwantMann) May 6, 2022
आपकी सरकार ने मुंगी की फसल पर भी MSP देने का फैसला लिया है, इसके बाद किसान धान की 126 किस्म और बासमती लगा सकते हैं। पंजाब सरकार किसानों को बासमती पर भी MSP देगीpic.twitter.com/kCYdXwZd1m
उन्होंने कहा कि किसानों को तुरंत मूंग बोना चाहिए। वो इसे 20 मई तक लगा सकते हैं। वीडियो में किसानों को संबोधित करते हुए सीएम भगवंत मान ने कहा कि अगर आप इसे 20 मई तक बोते हैं, तो भी यह काम करेगा। फसल को पकने में 55 दिन लगते हैं। बाद में किसान धान या बासमती की पीआर-126 किस्म की बुवाई कर सकते हैं।
मालूम हो, हाल ही में पंजाब सरकार ने धान किसानों को भूजल बचाने के लिए चावल की सीधी बुवाई (डीएसआर) तकनीक अपनाने पर 1,500 रुपये प्रति एकड़ के बोनस की घोषणा की थी। ऐसे में इस घोषणा के कुछ दिनों बाद ही राज्य सरकार द्वारा मूंग दाल (मसूर) पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की दूसरी घोषणा की गई है। वैसे शुक्रवार की घोषणा डीएसआर तकनीक का भी पूरक हो सकती है।
यदि किसानों द्वारा स्वीकार किया जाता है, तो ये घोषणाएं राज्य के तेजी से घटते जलभृतों के संरक्षण में एक लंबा रास्ता तय कर सकती हैं, जो पंजाब को तीन दशकों से भी कम समय में रेगिस्तान में बदलने का खतरा है। पीआर-126 किस्म पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) द्वारा विकसित धान की सबसे अधिक मांग वाली कम अवधि वाली किस्म है। डीएसआर तकनीक से उगाए जाने पर इसे परिपक्व होने में 123 दिन लगते हैं।