आरसीआई कानून में प्रस्तावित संशोधन दिव्यांगों के साथ न्याय नहीं करेंगे: अधिकार समूह

By भाषा | Published: January 18, 2021 07:48 PM2021-01-18T19:48:34+5:302021-01-18T19:48:34+5:30

Proposed amendments to RCI law will not do justice to people with disabilities: Rights groups | आरसीआई कानून में प्रस्तावित संशोधन दिव्यांगों के साथ न्याय नहीं करेंगे: अधिकार समूह

आरसीआई कानून में प्रस्तावित संशोधन दिव्यांगों के साथ न्याय नहीं करेंगे: अधिकार समूह

नयी दिल्ली, 18 जनवरी बीस से अधिक दिव्यांग अधिकार संगठनों ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा है कि भारतीय पुनर्वास परिषद अधिनियम, 1992 में प्रस्तावित सुधारों से दिव्यांगों की जरूरतों एवं आकांक्षाओं से न्याय नहीं होगा।

सरकार ने पिछले महीने यह कहते हुए कानून में संशोधन प्रस्तावित किये थे कि पुनर्वास और शिक्षा के क्षेत्र में हुए बदलाव के मद्देनजर ऐसा करने की जरूरत उत्पन्न हुई है।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने एक सार्वजनिक नोटिस में प्रस्ताव रखा है कि कानून में संशोधन से भारतीय पुनर्वास परिषद (आरसीआई) को देश भर में कुशल पेशेवरों और कर्मियों की मांग पूरी करने के लिए पहुंच योग्य, गुणवत्तापूर्ण और किफायती शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने में मदद मिलेगी और इस तरह की शिक्षा प्रदान करने वालों का नियमन होगा।

‘नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन आफ इम्प्लायमेंट फॉर डिसेबल्ड पीपल, नेशनल एसोसिएशन आफ डेफ और इंडियन इंस्टीट्यूट आफ सेरेब्रल पाल्सी सहित दिव्यांग अधिकार संगठनों ने कहा कि प्रस्तावित संशोधन दिव्यांग लोगों की प्रकृति और संख्या की जरूरतों और उन जरूरतों को पूरा करने के लिए जरूरी कुशल एवं योग्य मानव संसाधन की प्रकृति एवं संख्या को प्रतिबिंबित नहीं करता। उन्होंने कहा, ‘‘संशोधन चार वर्षों के भीतर आरसीआई को एक आत्मनिर्भर निकाय बनाने का प्रस्ताव देते प्रतीत होते हैं। संभावना है कि इसका वित्तीय बोझ विकलांग व्यक्तियों के साथ-साथ पंजीकरण / प्रशिक्षण के लिए निकाय में शामिल पेशेवरों पर भी पड़ेगा। इसका पुनर्वास सेवाओं की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव होगा।’’

संगठनों ने सचिव, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, शकुंतला डी गैमलिन को लिखे पत्र में कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में स्वतंत्र अधिकार प्राप्त निकायों की वकालत की गई है जो उच्च शिक्षा में अकादमी मानक, मान्यता और विनियमन तंत्र निर्धारित करेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘इस उद्देश्य के लिए, भारत के उच्च शिक्षा आयोग की परिकल्पना की गई है। प्रस्तावित संशोधन एनईपी 2020 में इन प्रावधानों के अनुरूप नहीं हैं।’’

समूहों ने कहा कि प्रस्तावित संशोधन मानसिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की आवश्यकता और पहुंच पर ध्यान नहीं देते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Proposed amendments to RCI law will not do justice to people with disabilities: Rights groups

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे