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असम की प्रमुख हस्तियों ने सीएए आंदोलन को लेकर सीजेआई को लिखा पत्र, इन बातों पर विचार की अपील

By भाषा | Updated: January 20, 2020 22:11 IST

इसमें कहा गया है कि सरकार ने देश में जारी प्रदर्शनों को ‘‘शरारती तत्वों’’ द्वारा आयोजित किया जा रहा बताया है जबकि ‘‘हजारों लोगों की प्रतिक्रिया को समाज के सही सोचने वाले सभी वर्गों की सहानुभूति मिली है।

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असम की 10 प्रमुख हस्तियों ने भारत के प्रधान न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे को पत्र लिखकर उनसे ‘‘देश में उत्पन्न जनाक्रोश और नाराजगी’’ पर विचार करने का आग्रह किया है। इन हस्तियों में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हिरेन गोहेन और होमेन बोर्गोहेन शामिल हैं। पत्र सोमवार को मीडिया को मुहैया कराया गया। इसमें कहा गया है कि सरकार ने देश में जारी प्रदर्शनों को ‘‘शरारती तत्वों’’ द्वारा आयोजित किया जा रहा बताया है जबकि ‘‘हजारों लोगों की प्रतिक्रिया को समाज के सही सोचने वाले सभी वर्गों की सहानुभूति मिली है।’’

पत्र में लिखा है, ‘‘इसकी काफी संभावना है कि कुछ ज्यादती हुई हों, जैसा कुछ प्रेस की खबरों में उल्लेखित किया गया है और इसकी निंदा होनी चाहिए लेकिन जनता के असंतोष और बेचैनी को जानबूझकर हिंसा के तौर पर खारिज नहीं किया जा सकता, जैसा वर्तमान में सरकार द्वारा किया जा रहा है।’’ इस पर हस्ताक्षर करने वालों में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित नागेन सैकिया, वैज्ञानिक दिनेश चंद्र गोस्वामी, गौहाटी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति गजेंद्र नाथ तालुकदार और कॉटन कालेज और गौहाटी मेडिकल कालेज के पूर्व प्रचार्यों क्रमश: उदयादित्य भराली और एन एन बर्मन शामिल हैं।

इसमें कहा गया है, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने असम में, बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों से अनियंत्रित पलायन के खतरे की तुलना गुपचुप आक्रमण से की थी और असम के लिए एनआरसी को उच्चतम न्यायालय की निगरानी में तेजी से तैयार किया गया था।’’ पत्र में कहा गया है कि इस समय बड़ी संख्या में विदेशियों को नागरिकता प्रदान करने से राज्य और उसकी मूल आबादी के संसाधनों पर भारी दबाव पड़ेगा।

टॅग्स :कैब प्रोटेस्टशरद अरविंद बोबडे
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