पटनाः एनडीए की ओर से उपराष्ट्रपति पद के लिए सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार बनाया गया है। ऐसे में गजब का संयोग है कि झारखंड से गहरा नाता जोड़ चुके दिग्गज नेता राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के रूप में नजर आएंगे। वर्तमान समय में वह महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। इससे पहले उन्होंने 18 फरवरी 2023 से 30 जुलाई 2024 तक झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। अगर राधाकृष्णन चुनाव जीत जाते हैं तो देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों ही झारखंड के पूर्व राज्यपाल होंगे। यह संयोग झारखंड के लिए गर्व का विषय है और सोशल मीडिया पर लोग झारखंड के राजभवन को लकी बता रहे हैं।
लोगों का कहना है कि देश के दोनों सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर बैठने वाली शख्सियत का संबंध उससे रहा है। राष्ट्रपति मुर्मू भी झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं। उन्होंने 18 मई 2015 से 13 जुलाई 2021 तक झारखंड के राज्यपाल के तौर पर काम किया है। उनका कार्यकाल 6 साल से भी ज्यादा का था, जो झारखंड के इतिहास में सबसे लंबा कार्यकाल है।
इसके बाद देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति बनीं। अब उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए प्रत्याशी भी झारखंड के राजभवन में रह चुका है। हालांकि, उपराष्ट्रपति का चुनाव होना अभी बाकी है, लेकिन बहुमत एनडीए के पक्ष में होने के कारण राधाकृष्णन की जीत सुनिश्चित मानी जा रही है। वहीं विपक्ष की ओर से उम्मीदवार की घोषणा अभी तक नहीं की गई है।
इसी बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनाए गए महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर बधाई संदेश साझा करते हुए लिखा है कि महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन जी को एनडीए के उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के निर्णय का स्वागत है।
जदयू सी.पी. राधाकृष्णन जी का समर्थन करेगा। उन्हें शुभकामनाएं। इस संदेश के माध्यम से नीतीश कुमार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी जदयू एनडीए के इस निर्णय के साथ है और उम्मीदवार राधाकृष्णन को पूर्ण समर्थन देगी।इस राजनीतिक समर्थन को 2025 के चुनावी समीकरणों के संदर्भ में भी अहम माना जा रहा है।
खासकर जब विभिन्न पार्टियों के बीच तालमेल और रणनीतियां तेज हो गई हैं। उनका समर्थन संकेत भी हो सकता है कि नीतीश कुमार उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर एनडीए में एकजुटता बनाए रखने को लेकर गंभीर हैं और आने वाले दिनों में केंद्र की राजनीति में उनकी सक्रियता और निर्णायक भूमिका भी देखने को मिल सकती है।