11 फरवरी के बाद आगे का प्लान बताऊंगा, अफवाह बंद करें, किसी दल में शामिल नहीं होऊंगाः प्रशांत किशोर

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 30, 2020 16:23 IST2020-01-30T16:16:26+5:302020-01-30T16:23:13+5:30

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा कि 11 फरवरी को पटना में मैं अपना आगे का प्लान बताऊंगा। तब तक मैं किसी से कोई बात नहीं कर रहा हूं। दिल्ली विधानसभा चुनाव में व्यस्त पीके आम आदमी पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। 

Prashant Kishor: I will formally speak about my plans for the future on 11th February in Patna (Bihar). Until then I am not speaking to anyone. | 11 फरवरी के बाद आगे का प्लान बताऊंगा, अफवाह बंद करें, किसी दल में शामिल नहीं होऊंगाः प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर ने कहा कि CAA, NRC, NPR पर विरोध करते रहेंगे।

Highlightsदिल्ली में 8 फरवरी को मतदान है। 11 फरवरी को वोटों की गिनती होगी। नीतीश से दोस्ती टूटने के बाद प्रशांत किशोर के नए सियासी ठिकाने को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।

जदयू ने अपने उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर एवं महासचिव पवन वर्मा को पार्टी से निष्कासित कर दिया। कभी सीएम नीतीश कुमार की आंख और नाक प्रशांत किशोर को पार्टी से बाहर फेंक दिया गया।

इस बीच, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा कि 11 फरवरी को पटना में मैं अपना आगे का प्लान बताऊंगा। तब तक मैं किसी से कोई बात नहीं कर रहा हूं। दिल्ली विधानसभा चुनाव में व्यस्त पीके आम आदमी पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। 

दिल्ली में 8 फरवरी को मतदान है। 11 फरवरी को वोटों की गिनती होगी। इसके बाद प्रशांत किशोर फैसला करेंगे।नीतीश से दोस्ती टूटने के बाद प्रशांत किशोर के नए सियासी ठिकाने को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं कि वो अब किस पार्टी का दामन थामेंगे?

प्रशांत किशोर ने कहा कि CAA, NRC, NPR पर विरोध करते रहेंगे। टीएमसी में शामिल होने पर कहा कि यह बकवास है। इस बीच लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र तेजप्रताप यादव ने पटना में कहा कि प्रशांत किशोर चाहे तो राजद में आ सकते हैं। हम दल में उनका स्वागत है।

दिल्ली में केजरीवाल को जिताने के लिए पीके हर रोज नए-नए कैंपेन और नारे गढ़ने में लगे हुए हैं। नीतीश से रिश्ते खत्म होने के बाद यह चुनाव प्रशांत किशोर के लिए काफी महत्वपूर्ण बन गया है। सूत्रों की मानें तो प्रशांत किशोर दिल्ली चुनाव के 11 फरवरी तक किसी तरह का कोई सियासी फैसला नहीं लेंगे, क्योंकि दिल्ली का चुनाव अमित शाह बनाम केजरीवाल ही नहीं बल्कि शाह बनाम पीके भी माना जा रहा है, क्योंकि इन दोनों नेताओं के बीच टसल काफी पुरानी है। ऐसे में दिल्ली चुनाव नतीजों को देखने के बाद ही पीके सियासी फैसला लेंगे।

दोनों नेता संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को पार्टी अध्यक्ष एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समर्थन के कारण उनकी आलोचना करते रहे हैं। जदयू के मुख्य महासचिव के सी त्यागी द्वारा जारी बयान के अनुसार दोनों नेताओं का आचरण ‘‘पार्टी के फैसलों के साथ-साथ उसकी कार्यपद्धति के खिलाफ’’ था, जो अनुशासन का उल्लंघन है। पार्टी ने किशोर पर बिहार के मुख्यमंत्री के खिलाफ ‘‘अपमानजनक शब्दों’’ के इस्तेमाल का भी आरोप लगाया।

कुमार ने मंगलवार को किशोर के आलोचनात्मक बयान की निंदा की थी और कहा था कि उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री एवं पूर्व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के कहने पर उन्हें पार्टी में शामिल किया था। किशोर ने इस पर गुस्से में प्रतिक्रिया दी और कुमार पर झूठ बोलने का आरोप लगाया। जदयू ने कहा कि यह जरूरी है कि किशोर को पार्टी से बाहर कर दिया जाए ताकि वह और निचले स्तर पर न गिरें। इसबीच जदयू से अपने निष्कासन के तुरंत बाद प्रशांत किशोर ने बुधवार को पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री पद पर ‘‘बरकरार’’ रहने को लेकर अपनी शुभकामनाएं दीं। जदयू से निष्कासन के तुरंत बाद किशोर ने कहा, ‘‘शुक्रिया नीतीश कुमार।

मेरी शुभकामना है कि आप बिहार के मुख्यमंत्री पद पर बरकरार रहें। भगवान आपका भला करे।’’ किशोर जदयू के उपाध्यक्ष थे। नीतीश और किशोर के बीच टकराव पिछले दिनों खुलकर सामने आ गया था जब मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव रणनीतिकार के रूप में मशहूर किशोर को केंद्रीय गृह मंत्री तथा पूर्व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के कहने पर पार्टी में शामिल किया गया था। इस पर किशोर ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। किशोर ने ट्वीट किया था, ‘‘मुझे जदयू में क्यों और कैसे लेकर आए इस बारे में आप झूठ बोल रहे हैं। अपने ही रंग में रंगने की बेहद खराब कोशिश कर करे हैं। लेकिन अगर आप सच बोल रहे हैं तो कौन यह भरोसा करेगा कि अभी भी आपमें इतनी हिम्मत है कि अमित शाह द्वारा भेजे गए आदमी की बात न सुनें।” इस पर पलटवार में जदयू ने बयान दिया, ‘‘यह जरूरी है कि किशोर को पार्टी से बाहर कर दिया जाए ताकि वह और निचले स्तर पर न गिरें।’’

बिहार भाजपा ने प्रशांत किशोर को पार्टी से निष्कासित किए जाने पर बुधवार को कहा कि जदयू ने उन्हें पार्टी से निकाल कर अच्छा काम किया है। बिहार भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने प्रशांत पर प्रहार करते हुए कहा, ‘‘प्रशांत किशोर को झूठ और प्रोपैगंडा फैलाने के लिए ‘पीएचडी इन मार्केटिंग, प्रोपैगंडा ऐंड थेथरोलॉजी’ की मानद उपाधि मिलनी चाहिए।’’

निखिल ने कहा,‘‘ प्रशांत ने जिस तरीके से भाजपा के शीर्षस्थ नेता और माननीय गृह मंत्री अमित शाह जी पर टिप्पणी की और अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी जी पर हमला किया है, उसके लिए उन्हें कतई माफ़ी नहीं मिलेगी। अपनी ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर सवाल उठाने वाले बड़बोले प्रशांत किशोर और पवन वर्मा को पार्टी ने बाहर निकाल कर अच्छा किया है।’’ निखिल ने उन पर प्रहार करते हुए कहा कि ये टुकड़े-टुकड़े गैंग और उनके समर्थकों के पक्ष में दुकान सजाने और बाजार बनाने के लिए स्वतंत्र हैं।

संशोधित नागरिकता कानून की निंदा करने वाले दोनों नेताओं को जदयू से निकाले जाने से भाजपा को राहत मिलेगी जो घोषणा कर चुकी है कि उनका गठजोड़ इस साल के आखिर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश के नेतृत्व में लड़ेगा। जदयू नेताओं ने कहा कि मंगलवार के किशोर के ट्वीट के बाद पार्टी में उनका बने रहना अब असंभव हो गया है। जदयू के बयान में यह भी कहा गया कि दोनों पार्टी के फैसलों और कार्यशैली के खिलाफ काम करते आ रहे हैं जो अनुशासन तोड़ने के समान है।

पार्टी ने कहा, ‘‘जदयू प्रशांत किशोर और पवन वर्मा को उनकी प्राथमिक सदस्यताओं तथा सभी जिम्मेदारियों से तत्काल प्रभाव से मुक्त करती है।’’ जदयू ने कहा कि किशोर ने पिछले कुछ महीने में कई विवादास्पद बयान दिये हैं।

पार्टी का इशारा किशोर के शाह पर निशाना साधने तथा सीएए की लगातार निंदा करने की ओर था। हालांकि किशोर ने मंगलवार से पहले वर्मा की तरह नीतीश पर सीधा निशाना नहीं साधा था। जदयू ने कहा कि वर्मा को नीतीश कुमार से इतना सम्मान मिला जितने के वह हकदार भी नहीं थे लेकिन इसकी प्रशंसा करने के बजाय उन्होंने सोचा कि यह पार्टी की बाध्यता है।

बिहार के मुख्यमंत्री की विचारधारा पर सवाल खड़े करने वाले वर्मा के खुले पत्रों का जिक्र करते हुए जदयू ने कहा कि पार्टी सामूहिक जिम्मेदारी से चलती है लेकिन कुछ लोग इस गलतफहमी में रहते हैं कि उनके विचार पार्टी को चला सकते हैं। किशोर और वर्मा दोनों की ही पृष्ठभूमि राजनीतिक नहीं रही है। किशोर 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के सफल प्रचार अभियान में शामिल रहने के बाद चुनाव रणनीतिकार के तौर पर प्रसिद्ध हो गये।

उन्होंने कई दलों के चुनाव प्रचार का प्रबंधन संभाला है। वर्मा पूर्व राजनयिक हैं और जदयू से राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं। इन नेताओं के पार्टी से निष्कासन के फैसले को लल्लन सिंह और आर सी पी सिंह जैसे दिग्गज जदयू नेताओं के लिए राहत वाला माना जा रहा है।

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Web Title: Prashant Kishor: I will formally speak about my plans for the future on 11th February in Patna (Bihar). Until then I am not speaking to anyone.

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