बिहार में हुए बीपीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षा में पूछा गया सियासी प्रश्न, भाजपा ने उठाया सवाल
By एस पी सिन्हा | Published: December 16, 2023 03:01 PM2023-12-16T15:01:22+5:302023-12-16T15:03:30+5:30
बिहार में चल रही बीपीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षा में अब यही सवाल पूछा गया है कि इंडिया का फुलफॉर्म क्या है? बीपीएससी द्वारा शिक्षकों की भर्ती का दूसरा चरण चल रहा है। इसमें एक लाख 20 हजार पदों पर भर्ती चल रही है। 15 दिसंबर को भर्ती परीक्षा का आखिरी दिन था।
पटना:बिहार में हुए बीपीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षा में इंडिया का फुलफॉर्म प्रश्न पूछे जाने पर सियासत गर्मा गई है। इंडिया का फुलफॉर्म पूछने के बीपीएससी के निर्णय को भाजपा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रचार का तरीका बताया है। परीक्षा में राजनीतिक दलों के गठबंधन से जुड़े सवाल पूछने को भाजपा सस्ते प्रचार का माध्यम बताते हुए नीतीश सरकार पर सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग करने का आरोप लगा रही है।
दरअसल, लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को हराने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर विपक्षी दलों का गठबंधन इंडिया बना है। लेकिन इंडिया का फुलफॉर्म क्या है, आज भी यह ज्यादातर लोगों की जुबान पर याद नहीं है। लेकिन बिहार में चल रही बीपीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षा में अब यही सवाल पूछा गया है कि इंडिया का फुलफॉर्म क्या है? बीपीएससी द्वारा शिक्षकों की भर्ती का दूसरा चरण चल रहा है। इसमें एक लाख 20 हजार पदों पर भर्ती चल रही है। 15 दिसंबर को भर्ती परीक्षा का आखिरी दिन था।
इस परीक्षा में कुल 150 सवाल पूछे गए थे, जिसमें सवाल नंबर 58 में विपक्षी राजनैतिक दलों के गठबंधन इंडिया का फुलफॉर्म क्या है, यह सवाल पूछा गया। इस परीक्षा में 8 लाख से ज्यादा अभ्यर्थी शामिल हुए थे। बीपीएससी के द्वारा यह सवाल पूछे जाने पर भाजपा के प्रवक्ता डॉ राम सागर सिंह ने शनिवार को कहा कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव द्वारा बीपीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षा को प्रचार का अड्डा बनाया जा रहा है।
इस परीक्षा के माध्यम से ये लोग इंडिया का प्रचार करने में लगे हैं। उन्होंने परीक्षा में इंडिया का फुलफॉर्म पूछने पर गहरी आपत्ति जताई। रामसागर ने कहा कि नीतीश कुमार और तेजस्वी एक ऐसे गठबंधन का फुल फॉर्म छात्रों से पूछ रहे हैं, जिसका पूरा नाम उनके ही 95 फीसदी नेता नहीं जानते हैं। देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी इस गठबंधन का बुरा हश्र हुआ है। बावजूद इसके अब बीपीएससी की आड़ में इंडिया का प्रचार किया जा रहा है जो निंदनीय है।
उल्लेखनीय है कि बिहार में शिक्षक भर्ती को मौजूदा नीतीश सरकार अपनी एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश कर रही है। पहले चरण में 1.20 हजार से ज्यादा शिक्षकों की भर्ती हो चुकी है। अब दूसरे चरण में एक बार फिर से उसी तरह से भर्ती की तैयारी है।