प्याज की फसल के उचित दाम न मिलने से नाराज महाराष्ट्र के नासिक जिले के एक किसान द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे गए मनीऑर्डर को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने लेने से इनकार कर दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पीएमओ ने किसान को मनीऑर्डर यह कहते हुए वापस भेज दिया कि वह मनीऑर्डर स्वीकार नहीं करते। अगर उन्हें पैसे भेजने ही हैं, तो वह आरटीजीएस या फिर किसी दूसरे ऑनलाइन ट्रांसफर के जरिए पैसे भेजें।
पीएमओ द्वारा किसान संजय साठे का मनीऑर्डर स्वीकार न करने से वह आहत हुए हैं। किसान को मलाल इस बात का नहीं है कि पीएमओ ने उनके मनीऑर्डर को अस्वीकार कर दिया बल्कि उनके दुख और गुस्से का कारण यह है कि पीएमओ ने किसान को राहत देने की बजाय डिजिटल ट्रांसफर का सुझाव दे रहे हैं। पीएमओ के इस सुझाव पर किसान संजय साठे का कहना है कि, ‘जब उन्होंने पीएमओ को पैसे भेजे थे तो लगा था कि शायद किसानों का कुछ भला हो जाएगा।’
आपको बता दें कि नासिक के निफाड तहसील के संजय साठे को अपनी 750 किलो प्याज़ की फसल को मात्र 1064 रुपये में बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा था। इसके बाद अपना विरोध दर्ज करवाने के लिए उन्होंने प्याज़ बेचने के बाद मिले पैसों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेज दिया था। उन्होंने बताया था कि पहले उन्हें साढ़े सात सौ किलो प्याज को 2 रुपए प्रति किलो से भी कम कीमत पर मात्र 1064 रुपये में बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा।
उन्होंने कहा कि, ‘चार महीने की मेहनत के बदले मुझे फसल की ये कीमत मिली। फसल से मिले रुपए को मैंने पीएमओ के आपदा राहत कोष में दान कर दिया है साथ ही मुझे मनी ऑर्डर से भेजने के लिए 54 रुपये अलग से खर्च करने पड़े।’ उनके मनीऑर्डर भेजने की खबर आने के बाद पीएमओ सक्रिय हुआ था और बताया जाता है कि इस घटना की जांच के आदेश दिए गए थे।
हाल ही में चंद्रकांत भीकन देशमुख नाम के किसान ने प्याज का सही दाम न मिलने पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को 216 रुपये का मनी ऑर्डर भेजा था। किसान ने बताया था कि पांच दिसंबर को हुई कृषि उत्पादन बाजार समिति (एपीएमसी) की नीलामी में 545 किलोग्राम प्याज की बिक्री के बाद उन्हें यह राशि प्राप्त हुई। नासिक और मध्यप्रदेश के किसान भी प्याज की सही कीमत न मिलने से परेशान हैं। मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी नीमच मंडी में प्याज पचास पैसे प्रति किलोग्राम और लहसुन दो रुपये प्रति किलोग्राम थोक के भाव बिकने के के चलते किसान या तो अपनी फसल वापस ले जा रहे हैं या फिर मंडी में ही छोड़ जा रहे है।