पटनाः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की स्वनील योजना प्रधानमंत्री उज्ज्वला गैस कनेक्शन योजना को बिहार में गैस प्रदाता कंपनियां पलीता लगा रही हैं. केंद्र सरकार सभी महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन देने की तो बात कह रही है, लेकिन इस योजना का लाभ उठाने की चाहत रखने वाली महिलाएं गैस एजेंसियों के मनमानेपन से परेशान हो जा रही हैं.
प्राप्त जानकारी के अनुसार गैस प्रदाता कंपनियों और उसके एजेंसियों के उदासिन रवैये से ग्रामीण इलाकों की महिलाएं त्रस्त दिख रही हैं. सूबे के भोजपुर जिले के सहार प्रखंड अंतर्गत पतरिहां गांव की रहने वाली वेदमानो देवी एचपी(हिन्दुस्तान पेट्रोलियम) गैस कंपनी में गैस कनेक्शन हेतू सारी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद सिलेंडर के लिए भटकने को मजबूर हैं.
अपने गांव से दस किलोमीटर दूर अगिआंव स्थित मां अम्बे एचपी गैस एजेंसी में दौड़ते-दौड़ते थक चुकी हैं. ऐसी भुक्तभोगी केवल वेदमानो देवी नहीं हैं. ऐसी कई महिलाएं हैं जो गैस लेने की सारी अहर्ताएं पूरी करने के बाद भी दर-दर भटकने को मजबूर हैं. इस संबंध में पूछे जाने पर गैस एजेंसी के आशीष ने ने बताया कि गैस प्रदाता कंपनी एचपी उन्हें गैस कनेक्शन रिलीज करने की अनुमति प्रदान नहीं कर रहा है.
जिसके कारण वह लाभार्थियों को गैस उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है. उसी तरह से नवादा जिले के रोह प्रखंड के कुंजैला गांव की दर्जनों महिलाएं आज भी गैस पाने के लिए दौड़ लगाने को मजबूर हैं. महिलाओं का कहना है कि दो साल से भी अधिक समय हो गया. हमलोगों ने गैस कनेक्शन के लिए एजेंसी को आवेदन दिया था. कनेक्शन के लिए निबंधन भी हो गया है.
परन्तु दो साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अभी तक कनेक्शन नहीं मिला है. जिसके कारण मिट्टी के चूल्हा की आग से खाना बनाने को विवश हूं. इससे यह प्रतीत होता है कि सरकार की यह घोषणा ख्याली पुलाव बनकर रह गई है. लाभार्थी महिलाओं का कहना है कि गैस एजेंसियां सिर्फ टालमटोल करती रहती हैं.
हद तो तब हो जाती है, जब नया कनेक्शन के लिए दूसरी गैस एजेंसी से महिलाएं सम्पर्क करती हैं तो वह यह कह कर आवेदन लौटा देता है कि आपका अमुक गैस एजेंसी में पहले से ही कनेक्शन के लिए निबंधन हो चुका है. जब उक्त एजेंसी निबंधन रद्द करती, तब तक दूसरी एजेंसी गैस उपलब्ध नहीं करा पाएगी. ऐसे न तो वह गैस एजेंसी कनेक्शन दे रही है और न तो निबंधन ही रद्द कर रही है.
कई महिलाओं ने तो आरोप लगाया है कि कनेक्शन के लिए गैस एजेंसियों मेम काम करने वाले लोग उनसे अतिरिक्त पैसे की मांग करते हैं. नजराना नहीं देने के कारण ही उन्हें कनेक्शन नहीं मिल रहा है. वहीं एजेंसी के कर्मी कहते हैं कि उनका सभी समान यहां से भेज दिया गया है.
बावजूद उनके न तो उन्हें गैस की सुविधा मिल पा रही है और ना ही उनका आवेदन रद्द किया जा रहा है. इसतरह से बिहार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने को साकार करने में गैस प्रदाता कंपनियां और एजेंसियां उदासीनता बरत रही हैं, जिससे महिलायें मोदी सरकार को हीं कोसने को मजबूर हो रही हैं.