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पीएम मोदी सुरक्षा चूक मामला: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से ठीक पहले कई वकीलों को आए थे धमकी भरे फोन, जानें पूरा मामला

By विनीत कुमार | Updated: January 11, 2022 14:04 IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। हालांकि इस सुनवाई से ठीक पहले कुछ वकीलों के पास चेतावनी भरे लहजे वाले फोन आए। फोन भारत के बाहर से किया गया था।

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ठळक मुद्देसुप्रीम कोर्ट के कई वकीलों ने कहा कि उनके पास चेतावनी भरे लहजे वाले फोन आए।वकीलों के अनुसार इसमें सुप्रीम कोर्ट को सुनवाई से दूर रहने को कहा गया था।फोन कॉल के अनुसार पंजाब में जो कुछ हुआ, उसके पीछे सिख फॉर जस्टिस का हाथ था।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब के फिरोजपुर में सुरक्षा चूक मामले में सोमवार को सुनवाई से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट के कुछ वकीलों के पास भारत के बाहर के नंबर से फोन आने का मामला सामने आया है। वकीलों ने दावा किया कि उन्हें आए फोन पर पहले से रिकॉर्ड मैसेज थे। 

इस फोन कॉल में पंजाब में पीएम का रास्ता रोकने की जिम्मेदारी ली गई थी और साथ ही कोर्ट को कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाने की चेतावनी दी गई थी जिससे सरकार की मदद हो।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से ठीक पहले वकीलों को आया फोन

वकीलों ने कहा कि उन्हें दो फोन कॉल सुबह करीब 10.40 बजे और फिर दिन में 12.36 बजे आए।  सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र के पूर्व वकील निशांत कटनेस्वारकर ने कहा कि जिस नंबर से फोन आया, मोबाइल डिस्पले उसे यूके का दिखा रहा था। बाद में सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) ने अदालत के महासचिव को पत्र लिखकर इस मामले की जानकारी दी।

इस चिट्ठी में कहा गया है अदालत के वकीलों को एक गुमनाम, स्वचालित, पूर्व-रिकॉर्डेड कॉल मिला है। इसमें पंजाब दौरे के दौरान पीएम मोदी की सुरक्षा चूक संबंधी जिम्मेदारी ली गई है।

फोन कॉल में सिख फॉर जस्टिस (SFJ) का नाम लिया गया

वकीलों द्वारा लिखी चिट्ठी में कहा गया है कि फोन कॉल में बताया गया कि पीएम मोदी के काफिले को पंजाब में फ्लाइओवर पर रोकने में अमेरिका से सिख फॉर जस्टिस का हाथ है।

चिट्ठी में कहा गया है कि फोन करने वाले ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को गैर सरकारी संगठन लॉयर्स वॉयस द्वारा दायर जनहित याचिका पर इस आधार पर सुनवाई करने से परहेज करने की चेतावनी दी कि अदालत अब तक 1984 के सिख दंगे के दोषियों को सजा देने में नाकाम रही है।

मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए, SCAORA ने कहा कि यह 'एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड' की गोपनीयता का उल्लंघन है क्योंकि उनके पंजीकृत मोबाइल नंबर सार्वजनिक डोमेन में हैं। SCAORA के अनुसार इससे उनके सभी गोपनीय डेटा, बैंकिंग विवरण और सुप्रीम कोर्ट में उनके चल रहे केस आदि की जानकारी भी किसी के हाथ लग सकते हैं और इसका गलत इस्तेमाल हो सकता है।

एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के दीपक प्रकाश ने इस संबंध में दिल्ली पुलिस आयुक्त के पास एक आपराधिक शिकायत भी दर्ज कराई है।

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