कनाडा में चरमपंथियों पर प्रधानमंत्री मोदी का कड़ा रुख, कहा- भारतीय समुदाय को धमकाया जा रहा है
By मनाली रस्तोगी | Published: September 11, 2023 07:26 AM2023-09-11T07:26:26+5:302023-09-11T07:30:39+5:30
पीएम मोदी ने ट्रूडो को बताया कि कनाडा में चरमपंथी तत्व अलगाववाद को बढ़ावा दे रहे हैं और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ हिंसा भड़का रहे हैं, राजनयिक परिसरों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और भारतीय समुदाय को धमकी दे रहे हैं।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी20 से इतर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ हुई द्विपक्षीय वार्ता में कनाडा में चरमपंथी तत्वों की भारत विरोधी गतिविधियों के जारी रहने पर चिंता व्यक्त की है। कनाडा प्रवासी सिखों के पसंदीदा केंद्रों में से एक रहा है, जहां चरमपंथ हाशिये पर पनप गया है और पिछले कुछ महीनों में सुर्खियां बना है।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पीएम मोदी ने ट्रूडो को बताया कि कनाडा में चरमपंथी तत्व अलगाववाद को बढ़ावा दे रहे हैं और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ हिंसा भड़का रहे हैं, राजनयिक परिसरों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और भारतीय समुदाय और उनके पूजा स्थलों को धमकी दे रहे हैं। संगठित अपराध, ड्रग सिंडिकेट और मानव तस्करी के साथ ऐसी ताकतों का गठजोड़ कनाडा के लिए भी चिंता का विषय होना चाहिए।
बयान में आगे कहा गया, "ऐसे खतरों से निपटने के लिए दोनों देशों का सहयोग करना जरूरी है।" मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि भारत-कनाडा संबंधों की प्रगति के लिए आपसी सम्मान और विश्वास पर आधारित संबंध आवश्यक है। ट्रूडो ने रविवार को कहा कि उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में कई बार पीएम मोदी के साथ खालिस्तान उग्रवाद और विदेशी हस्तक्षेप पर चर्चा की है।
उन्होंने कहा, "कनाडा हमेशा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता...विवेक और शांतिपूर्ण विरोध की रक्षा करेगा। लेकिन यह हिंसा को भी रोकेगा और नफरत को पीछे धकेलेगा। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि कुछ लोगों के कार्य पूरे समुदाय या कनाडा का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। इसका दूसरा पहलू यह है कि हमने कानून के शासन का सम्मान करने के महत्व पर भी प्रकाश डाला और हमने विदेशी हस्तक्षेप के बारे में भी बात की।"
पिछले कुछ वर्षों में कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें भारतीय दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन, भारतीय मूल के पत्रकारों पर हमला, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का जश्न मनाने के लिए परेड का आयोजन और भारतीय राजनयिकों के लिए धमकी भरे पोस्टर शामिल हैं। भारत ने इन घटनाओं पर लगातार विरोध दर्ज कराया था।