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दर्दनाक ऐतिहासिक घटनाओं को अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं प्रधानमंत्री मोदी- जयराम नरेश

By शिवेंद्र राय | Updated: August 14, 2022 15:15 IST

केंद्र सरकार आज 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस'मना रही है। इस मौके पर भाजपा ने सवाल किया है कि जिन पर विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ संघर्ष करने की जिम्मेदारी थी, वह तब कहां थे? जयराम नरेश ने पलटवार करते हुए कहा है कि 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने के पीछे प्रधानमंत्री की वास्तविक मंशा सबसे दर्दनाक ऐतिहासिक घटनाओं को अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना है।

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ठळक मुद्देकेंद्र सरकार 14 अगस्त को मना रही है 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस'जयराम नरेश ने कार्यक्रम को लेकर प्रधानमंत्री पर साधा निशानाकहा, प्रधानमंत्री की मंशा सबसे दर्दनाक घटनाओं को अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना है

नई दिल्ली: स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले भारत सरकार 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के रूप में मना रही है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, "देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों और भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान तक गंवानी पड़ी। उन लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया है। 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' का यह दिन हमें भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए न केवल प्रेरित करेगा, बल्कि इससे एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी।"

इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया,  "जिन लोगों को भारत की सांस्कृतिक विरासत, सभ्यता, मूल्यों, तीर्थों का कोई ज्ञान नहीं था, उन्होंने मात्र 3 सप्ताह में सदियों से एक साथ रह रहे लोगों के बीच सरहद की लकीरें खींच दी। उस समय कहां थे वे लोग जिन पर इन विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ संघर्ष करने की जिम्मेदारी थी।"

अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम नरेश ने प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा पर निशाना साधा है। जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा, "14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के रूप में मनाने के पीछे प्रधानमंत्री की वास्तविक मंशा सबसे दर्दनाक ऐतिहासिक घटनाओं को अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना है। लाखों लाख लोग विस्थापित हुए और जानें गईं। उनके बलिदानों को भुलाया या अपमानित नहीं किया जाना चाहिए। बंटवारे की त्रासदी का दुरुपयोग नफरत और पूर्वाग्रह की भावना को भड़काने के लिए नहीं होना चाहिए। सच ये है कि सावरकर ने दो राष्ट्र का सिद्धांत दिया और जिन्ना ने इसे आगे बढ़ाया।"

जयराम नरेश ने आगे लिखा,  पटेल ने लिखा था, "मुझे लगता है कि अगर विभाजन स्वीकार नहीं किया गया, तो भारत कई टुकड़ों में बंट जाएगा। क्या प्रधानमंत्री आज जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी याद करेंगे, जिन्होंने शरत चंद्र बोस की इच्छा के खिलाफ बंगाल के विभाजन का समर्थन किया था, और स्वतंत्र भारत के पहले कैबिनेट में शामिल हुए, जब विभाजन के दर्दनाक परिणाम स्पष्ट रूप से सामने आ रहे थे? देश को बांटने के लिए आधुनिक दौर के सावरकर और जिन्ना का प्रयास आज भी जारी है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस गांधी, नेहरू, पटेल और अन्य नेताओं की विरासत को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्र को एकजुट करने का प्रयास जारी रखेगी। नफरत की राजनीति हारेगी।"

टॅग्स :Jairam Rameshआजादी का अमृत महोत्सवहर घर तिरंगाHar Ghar Tirangaकांग्रेसCongress
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