PM Modi Lex Fridman Podcast: मेरा बचपन गरीबी में बीता, स्कूल में इस्तेमाल किया हुआ चॉक इकट्ठा किया और सफेद जूते चमकाने में किया उपयोग?, पीएम मोदी ने पॉडकास्ट में कहा, देखें

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: March 16, 2025 18:40 IST2025-03-16T18:39:03+5:302025-03-16T18:40:39+5:30

PM Modi Lex Fridman Podcast Live: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत की तरफ से शांति के हर प्रयास का जवाब पाकिस्तान ने शत्रुता और विश्वासघात से दिया और उम्मीद जताई कि उसे सद्बुद्धि आएगी और वह शांति का मार्ग अपनाएगा।

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PM Modi Lex Fridman Podcast Live

HighlightsPM Modi Lex Fridman Podcast Live: पाकिस्तान के लोग भी शांति चाहते हैं।PM Modi Lex Fridman Podcast Live: प्रयास का जवाब शत्रुता और विश्वासघात से मिला। PM Modi Lex Fridman Podcast Live: गौतम बुद्ध और महात्मा गांधी की भूमि है।

PM Modi Lex Fridman Podcast Live: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘लेक्स फ्रीडमैन पॉडकास्ट’ में कहा कि मेरी ताकत मेरे नाम में नहीं बल्कि 1.4 अरब भारतीयों और देश की शाश्वत संस्कृति एवं विरासत के समर्थन में निहित है। प्रधानमंत्री मोदी ने ‘पॉडकास्ट’ कार्यक्रम में कहा कि जब मैं विश्व के नेताओं से हाथ मिलाता हूं तो ऐसा मोदी नहीं बल्कि 1.4 अरब भारतीय करते हैं। जब भी हम शांति की बात करते हैं, दुनिया हमारी बात सुनती है क्योंकि भारत गौतम बुद्ध और महात्मा गांधी की भूमि है। मैंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान को आमंत्रित किया था, लेकिन शांति के हर प्रयास का जवाब शत्रुता और विश्वासघात से मिला। हम पूरी उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान को सद्बुद्धि आएगी और वह शांति का मार्ग अपनाएगा, यहां तक ​​कि पाकिस्तान के लोग भी शांति चाहते हैं।

   

मैं आलोचना का स्वागत करता हूं, मेरा दृढ़ विश्वास है कि यह लोकतंत्र की आत्मा है। मेरा बचपन बेहद गरीबी में बीता, मैंने स्कूल में इस्तेमाल किया हुआ चॉक इकट्ठा किया और अपने सफेद जूते चमकाने के लिए इसका उपयोग किया। लेक्स फ्रीडमैन के साथ एक पॉडकास्ट में उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय वैदिक संतों और स्वामी विवेकानंद ने जो कुछ भी सिखाया है।

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भी वही सिखाता है। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान को आमंत्रित किया था, लेकिन शांति के हर प्रयास का जवाब शत्रुता और विश्वासघात से मिला। हम पूरी उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान को सद्बुद्धि आएगी और वह शांति का मार्ग अपनाएगा।’’

   

मोदी ने कहा कि उनका मानना है कि पाकिस्तान के लोग भी शांति चाहते हैं क्योंकि वे भी संघर्ष, अशांति और निरंतर आतंक में रहते हुए थक गए होंगे, जहां मासूम बच्चे भी मारे जाते हैं और अनगिनत जिंदगियां बर्बाद हो जाती हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने का उनका पहला प्रयास सद्भावना का संकेत था।

उन्होंने कहा, ‘‘यह कूटनीतिक कदम था, जो दशकों में नहीं देखा गया। जिन लोगों ने कभी विदेश नीति के प्रति मेरे दृष्टिकोण पर सवाल उठाया था, वे उस समय अचंभित रह गए, जब उन्हें पता चला कि मैंने दक्षेस देशों के सभी राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया और हमारे तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने संस्मरण में उस ऐतिहासिक भाव को खूबसूरती से कैद किया है।’’

मोदी ने कहा कि यह इस बात का प्रमाण है कि भारत की विदेश नीति कितनी स्पष्ट और आश्वस्त हो गई है। उन्होंने कहा, ‘‘इसने दुनिया को शांति और सद्भाव के लिए भारत की प्रतिबद्धता के बारे में एक स्पष्ट संदेश भेजा, लेकिन हमें वांछित परिणाम नहीं मिले।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जब भी शांति की बात करता है, तो आज दुनिया उसकी बात सुनती है, क्योंकि भारत गौतम बुद्ध और महात्मा गांधी की भूमि है।

उन्होंने कहा कि उनकी ताकत उनके नाम में नहीं है, बल्कि 1.4 अरब भारतीयों और देश की शाश्वत संस्कृति एवं विरासत के समर्थन में निहित है। आरएसएस के साथ उनके संबंधों के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि वह खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि उन्होंने ऐसे सम्मानित संगठन से जीवन के सार और मूल्यों को सीखा।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे जीवन का उद्देश्य मिला।’’ उन्होंने कहा कि बचपन में आरएसएस की शाखाओं में शामिल होना, उन्हें हमेशा अच्छा लगता था। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे मन में हमेशा एक ही लक्ष्य था, देश के काम आना। यही मुझे संघ (आरएसएस) ने सिखाया है। आरएसएस की स्थापना के इस वर्ष 100 साल पूरे हो रहे हैं।

दुनिया में आरएसएस से बड़ा कोई स्वयंसेवी संगठन नहीं है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि आरएसएस को समझना कोई आसान काम नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘यह अपने स्वयंसेवकों को जीवन का एक उद्देश्य देता है। यह सिखाता है कि राष्ट्र ही सब कुछ है और समाज सेवा ही ईश्वर की सेवा है। हमारे वैदिक संतों और स्वामी विवेकानंद ने जो कुछ भी सिखाया है, संघ भी यही सिखाता है।’’

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