केरल राज्य बोर्ड के छात्रों को डीयू में ‘‘अनुपातहीन’’ संख्या में दाखिला मिलने का आरोप लगाने संबंधी याचिका खारिज

By भाषा | Updated: October 11, 2021 19:07 IST2021-10-11T19:07:15+5:302021-10-11T19:07:15+5:30

Plea alleging that Kerala State Board students get "disproportionate" number of admissions in DU dismissed | केरल राज्य बोर्ड के छात्रों को डीयू में ‘‘अनुपातहीन’’ संख्या में दाखिला मिलने का आरोप लगाने संबंधी याचिका खारिज

केरल राज्य बोर्ड के छात्रों को डीयू में ‘‘अनुपातहीन’’ संख्या में दाखिला मिलने का आरोप लगाने संबंधी याचिका खारिज

नयी दिल्ली, 11 अक्टूबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को वह याचिका खारिज कर दी जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में केरल राज्य बोर्ड के छात्रों को ‘‘अनुपातहीन’’ संख्या में दाखिला मिलने का आरोप लगाया गया था। न्यायालय ने कहा कि ‘कट-ऑफ’ तय करना विश्वविद्यालय की दाखिला नीति का मामल है।

न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की एकल पीठ ने कहा कि अकादमिक नीति के मामलों को विश्वविद्यालय पर छोड़ दिया जाना चाहिए और अदालत इसमें हस्तक्षेप करने में सुस्त होगी। अदालत डीयू की एक आकांक्षी अभ्यर्थी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

न्यायमूर्ति जालान ने कहा, ‘‘मेरे लिए, यह पूरी तरह से नीति का मामला है। हम कैसे कहते हैं कि ‘कट-ऑफ’ के रूप में क्या तय किया जाना चाहिए? हम कैसे कह सकते हैं कि फलां बोर्ड के अंक अधिक रहे हैं और फलां के कम रहे हैं? मुझे नहीं लगता कि इस तरह के आधार पर कोई अदालत इसमें शामिल हो सकती है।’’

अदालत ने कहा, ‘‘हमारा विचार है कि इसे विश्वविद्यालय के नीतिगत निर्णय पर छोड़ दिया जाना चाहिए।’’

याचिकाकर्ता की दलील थी कि कक्षा 12वीं में 98 प्रतिशत से अधिक हासिल करने के बावजूद, वह अपने पसंदीदा पाठ्यक्रम और कॉलेज में प्रवेश पाने में असमर्थ थी।

न्यायाधीश ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हुई सुनवाई के दौरान मौजूद याचिकाकर्ता गुनिशा अग्रवाल से कहा कि निराश होने का कोई कारण नहीं है...दाखिला मिलेगा। पूरे भारत में बड़े कॉलेज और विश्वविद्यालय हैं।’’

याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विपुल और अनिरुद्ध शर्मा ने दावा किया था कि पहली कट-ऑफ सूची में दाखिला पाने वाले 49 प्रतिशत छात्र केरल राज्य बोर्ड के थे, जबकि सीबीएसई और आईएससी से क्रमशः 13.6 प्रतिशत और 14.80 प्रतिशत छात्र थे।

वकील ने कहा कि पहली कट-ऑफ में सफल उम्मीदवारों में से 27 प्रतिशत राजस्थान राज्य बोर्ड से थे।

याचिकाकर्ता के वकील का कहना था कि केरल बोर्ड के लिए, कक्षा 11वीं और कक्षा 12वीं दोनों के अंकों पर विचार किया जा रहा है, जिससे वहां से अनुपातहीन संख्या में छात्रों को दाखिला मिल रहा है।

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Web Title: Plea alleging that Kerala State Board students get "disproportionate" number of admissions in DU dismissed

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