'पेगासस केवल सरकारों को बेचा जाता है, केंद्र बताए कि जासूसी पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई'
By भाषा | Published: August 5, 2021 08:41 PM2021-08-05T20:41:08+5:302021-08-05T20:41:08+5:30
नयी दिल्ली, पांच अगस्त वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने उच्चतम न्यायालय से बृहस्पतिवार को कहा कि पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल तब तक नहीं किया जा सकता जब तक कि सरकार या इसकी एजेंसियां इसकी खरीद न करें तथा केंद्र को इस सवाल का जवाब देना चाहिए कि उसने कथित जासूसी मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की।
वरिष्ठ पत्रकारों-एन राम और शशि कुमार की ओर से पेश हुए सिब्बल ने प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ से कहा कि यह निजता और गरिमा का मामला है तथा सरकार को जवाब देना चाहिए कि वह ‘‘चुप’’ क्यों है।
उन्होंने कहा, ‘‘तथ्य यह है कि इस प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल भारत में तब तक नहीं किया जा सकता जब तक कि आप इसे खरीदें नहीं। यह नहीं हो सकता। और इसे जो खरीद सकता है, वह केवल सरकार और इसकी एजेंसियां हैं।’’
इसपर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि सरकार से मतलब राज्य सरकारों से भी हो सकता है।
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि वह इस बारे में नहीं जानते और केवल सरकार ही अदालत को जानकारी दे पाएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘माननीय हम आपको सभी जवाब नहीं दे सकते क्योंकि हमारे पास सभी जवाब नहीं हैं। इन चीजों तक हमारी पहुंच नहीं हो सकती। इसलिए, यह आवश्यक है कि सरकार आए और माननीय आपको बताए कि मामला क्या है तथा उसने कार्रवाई क्यों नहीं की है।’’
पेगासस मामले में स्वतंत्र जांच के आग्रह वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही पीठ से सिब्बल ने कहा कि यह सिर्फ आतंरिक मामला नहीं, बल्कि ‘‘हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला भी है।’’
उन्होंने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि उसने इजराइली कंपनी एनएसओ ग्रुप टेक्नोलॉजी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की, प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की।
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘यह हमारी सुरक्षा का मामला है। यह हमारे नागरिकों के अधिकारों का मामला है। भारत सरकार ने चुप्पी क्यों साध रखी है?’’
सिब्बल ने जब उन खबरों का जिक्र किया जिनमें सूची में न्यायपालिका के एक सदस्य का पुराना नंबर शामिल होने की बात कही गई है, तो पीठ ने कहा, ‘‘सच को सामने आना है, हमें नहीं पता कि उसमें किसके नाम हैं।’’
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि ऐसे सवाल हैं जिनका सरकार को जवाब देना होगा।
पीठ ने कहा कि मामला जब 2019 में ही प्रकाश में आ गया था तो इसे अब क्यों उठाया जा रहा है, सिब्बल ने कहा कि उन्हें हाल में प्रकाशित हुईं खबरों से इस बारे में पता चला।
सिब्बल ने कहा कि एनएसओ ने अपनी वेबसाइट पर उल्लेख कर रखा है कि आतंकी गतिविधियों से निपटने के लिए उसके उत्पादों का इस्तेमाल सरकारें करती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘क्या इसका मतलब यह है कि सरकार पत्रकारों, शिक्षाविदों, कार्यकर्ताओं को आतंकवादी मानती है क्योंकि सरकार ही इस तरह के उत्पाद खरीद सकती है।’’
सिब्बल ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि किसी के मोबाइल फोन में घुसपैठ करने की कीमत लगभग 52 हजार डॉलर है।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता मनीष तिवारी ने पीठ से कहा कि पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने भी मामले में याचिका दायर की है, लेकिन यह बृहस्पतिवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं की गई।
उन्होंने पीठ से आग्रह किया कि सिन्हा की याचिका को अन्य याचिकाओं के साथ संलग्न किया जाए।
पीठ ने कहा कि याचिका पर अन्य याचिकाओं के साथ मामले की अगली तारीख 10 अगस्त को सुनवाई की जाएगी।
शीर्ष अदालत मामले में स्वतंत्र जांच का आग्रह करनेवाली नौ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और कुछ वरिष्ठ पत्रकारों की याचिकाएं भी शामिल हैं।
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