मुंबई की एक अदालत ने सरकारी अस्पताल में जातिगत टिप्पणियां कर एक जूनियर डॉक्टर को आत्महत्या के लिए कथित तौर पर उकसाने के आरोप में जेल में कैद तीन डॉक्टरों की जमानत याचिका रद्द कर दी है। भक्ति मेहेरे, हेमा आहूजा और अंकिता खंडेलवाल फिलहाल जेल में ही रहेंगे। आरोपियों के वकील आबाद पोंडा ने दलील दी थी कि तीनों डॉक्टरों को तड़वी की जाति के बारे में पता भी नहीं था। उन्हें काम के लिए डांटा था और नुकसान पहुंचाने की कोई मंशा नहीं थी।
इससे पहले पायल तड़वी आत्महत्या मामले में मुंबई कोर्ट ने तीनों आरोपित डॉक्टरों की न्यायिक हिरासत 21 जून तक बढ़ा दी थी। कोर्ट के आदेश पर तीनों डॉक्टरों हेमा आहूजा, अंकिता खंडेलवाल और भक्ति मेहरे ने विरोध जताया और कोर्ट में ही हंगामा खड़ा करने की कोशिश की। उन्होंने चीखते हुए कहा कि वे अब और जेल में नहीं रह सकतीं। उनकी जमानत याचिका पर त्वरित सुनवाई हो।
26 वर्षीय पायल तड़वी ने मुंबई के बीएलवाई नायर अस्पताल में अपने कमरे में कथित रूप से फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली थी जिसके बाद इन तीन डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। तीनों डॉक्टरों को पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ की। उनके मोबाइल फोन जब्त करके पायल तड़वी के साथ की गई बातचीत पढ़ी गई थी।