Patliputra Lok Sabha seat:बिहार की राजधानी पटना के दूसरे सबसे महत्वपूर्ण लोकसभा सीट पाटलिपुत्र का चुनावी मैदान एक बार फिर मीसा भारती बनाम रामकृपाल यादव बनने जा रहा है। दरअसल, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने इस बार अपनी दो बेटियों को चुनाव में उतारने का मन बना लिया है। रोहिणी आचार्य को सारण लोकसभा सीट से तो मीसा भारती को पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से उतारने जा रहे हैं। मीसा भारती पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से लगातार तीसरी बार चुनाव मैदान में उतरने जा रही हैं। हालांकि अधिकारिक तौर पर न तो भाजपा ने और ना ही राजद ने अपने-अपने उम्मीदवारों का ऐलान किया है। पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से पिछला चुनाव भाजपा के दिग्गज नेता रामकृपाल यादव ने जीता था। यहां से रामकृपाल यादव को 47.3 फीसदी वोट मिले थे।
इनके खिलाफ मीसा भारती थी जो कि 47.3 फीसदी मतों के साथ दूसरे नंबर पर रही थी। 2019 के चुनाव को रामकृपाल यादव को 509,557 वोट मिले थे। वहीं राजद के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए मीसा भारती को 470,236 मतों की प्राप्ति हुई थी। इस सीट से बसपा ने भी अपना प्रत्याशी चुनाव में उतारा था। बसपा के मोहम्मद कलीमुल्लाह को 14,045 वोट मिले थे।
इस सीट पर 25 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे। पाटलिपुत्र सीट पर अब तक हुए तीन लोकसभा चुनावों में एनडीए उम्मीदवारों ने ही जीत हासिल की है। पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर कुल 18 लाख से भी ज्यादा मतदाता हैं। इस सीट के अंतर्गत पटना जिले के ग्रामीण क्षेत्र खासकर पश्चिमी इलाके आते हैं। पाटलिपुत्र में यादव, भूमिहार और कुर्मी जाति की अच्छी खासी जनसंख्या है।
यही मतदाताओं के जीत हार का अंतर तय करते हैं। जदयू और भाजपा बिहार एक बार फिर से बिहार में एक साथ चुनाव लड़ सकते हैं। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि पाटलिपुत्र सीट पर भाजपा का ही प्रत्याशी होगा। परिसीमन के बाद 2009 में हुए पहले चुनाव में जदयू के टिकट पर रंजन प्रसाद यादव ने चुनाव लड़ते हुए जीत हासिल की थी।
इनके खिलाफ राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव खुद थे। लेकिन लालू यहां से चुनाव हार गए थे। फिर इस सीट से 2014 में भाजपा ने यहां से रामकृपाल यादव को टिकट दिया। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में मीसा भारती को उन्होंने हराया था। रामकृपाल यादव कभी लालू के 'अपने' हुआ करते थे। जब वह राजद में थे तो उन्हें लालू का 'हनुमान' कहकर संबोधित किया जाता था।
लेकिन 10 साल पहले वह भाजपाई हो गए। बगावत से गुस्साई मीसा ने एक बार गंडासे से हाथ काटने वाली बात कह दी तो काफी विवाद हुआ। उस समय रामकृपाल ने कहा था कि मीसा उनकी भतीजी हैं। वह बेटी समान हैं। उनके साथ हमेशा आशीर्वाद रहेगा। इस तरह से देखिए पाटलिपुत्र में मुकाबला चाचा बनाम भतीजी का भी बन गया है।
वैसे लालू यादव बड़े यादव नेता के तौर पर जाने जाते हैं, लेकिन विडंबना यह है कि पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा यादव मतदाताओं के होने बाद भी वह नहीं जीत सके। यहां कुल करीब 17 लाख मतदाता हैं। करीब पांच लाख यादव, 3 लाख भूमिहार और 4 लाख कुर्मी मतदाता हैं।