कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान बिहार के बेगूसराय जिले में विशेष रेलगाड़ियों के रुकने पर यहां के एक साधारण से गांव के लोगों द्वारा अतिथियों के सत्कार की मिसाल पेश किए जाने की खबरें दिलों की जीत रही है। जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक कुमार सिंह को सुखद आश्चर्य हुआ जब उन्होंने यहां से हजारों किलोमीटर दूर, मिजोरम में प्रकाशित समाचार में बेगूसराय का जिक्र देखा। मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथंगा के एक ट्वीट ने इस खबर को और खास बना दिया जिसमें उन्होंने बिहार के नेकदिल इंसानों की तारीफ की जो ट्रेन के कुछ दिन पहले जिले में रुकने पर उसमें सवार यात्रियों के लिए खाना और पानी लेकर पहुंचे।
जोरामथांगा ने शनिवार को कहा, “मिजोरम के फंसे हुए लोगों के लौटने के दौरान बाढ़ प्रभावित लोगों को अपना खाना देने के कुछ दिन बाद, बिहार के बेगूसराय में श्रमिक स्पेशल ट्रेन के कुछ देर रुकने के दौरान, नेक दिल इंसानों ने बदले में उन्हें भोजन दिया।” उन्होंने कहा, “अच्छाई के बदले अच्छाई। प्रेम उमड़ता है तो भारत खूबसूरत हो जाता है।”
कोविड-19 वैश्विक महामारी के शुरुआती चरणों में पूर्वोत्तर के लोगों को “चीनी लोग” बुलाकर उनके साथ किए गए भेदभाव की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के बाद यह एक अच्छी खबर है। हालांकि ग्रामीणों को अपनी इस लोकप्रियता के बारे में तनिक भी आभास नहीं है। जिला मजिस्ट्रेट ने कहा कि इन लोगों के बारे में बस इतना पता है कि वे बलिया उपसंभाग के तहत आने वाले गांवों के निवासी हैं और स्पेशल ट्रेनें चलाए जाने के बाद से वे यह काम कर रहे हैं
सालेह चक पंचायत प्रमुख फैज-उर-रहमान ने कहा, “हम किसी संगठन का हिस्सा नहीं है और न ही हमें कोई लोकप्रियता चाहिए।” रहमान ने कहा, “हम साधारण लोग हैं जो अच्छाई में यकीन करते हैं और जो है उसे साझा करना पसंद करते हैं, यह मानते हैं कि जो हमारे पास है वह अल्लाह की देन है।”
स्थानीय निवासी मोहम्मद राशिद ने कहा, “हम पानी को बोतल, पूरी-सब्जी के पैकेट, चूड़ा, मुढ़ही, बिस्किट, फल और दूध तैयार रखते हैं।” उसने कहा, “सिग्नल के कारण ट्रेनों के यहां रुकने पर हम ये सामान लेकर पहुंच जाते हैं। यात्रियों के चेहरे पर हम जो मुस्कान देखते हैं, वही हमारा सबसे बड़ा इनाम है।’’