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संसद का शीतकालीन सत्रः तृणमूल कांग्रेस सांसद अर्पिता घोष का त्यागपत्र स्वीकार, जानिए कारण

By भाषा | Updated: November 29, 2021 13:33 IST

सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस सांसद अर्पिता घोष से बात की और 15 सितंबर 2021 को ही उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया।

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ठळक मुद्देअर्पिता ने 15 सितंबर 2021 को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। 2019 में बेलूरघाट से लोकसभा चुनाव हार गयी थीं।

नई दिल्लीः तृणमूल कांग्रेस सांसद अर्पिता घोष का राज्यसभा की सदस्यता से त्यागपत्र स्वीकार कर लिया गया है। सभापति एम वेंकैया नायडू ने सोमवार को उच्च सदन में यह जानकारी दी।

दिवंगत सदस्यों के सम्मान में एक घंटे के लिए उच्च सदन की बैठक स्थगित रहने के बाद जब पुन: शुरू हुई तब सभापति नायडू ने अर्पिता घोष का इस्तीफा स्वीकार किए जाने के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि उच्च सदन में पश्चिम बंगाल का प्रतिनिधित्व कर रही अर्पिता ने 15 सितंबर 2021 को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।

सभापति ने कहा कि उन्होंने अर्पिता से बात की और 15 सितंबर 2021 को ही उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया। गौरतलब है कि अर्पिता घोष को मार्च, 2020 में तृणमूल कांग्रेस ने राज्यसभा के लिए मनोनयन किया था। उससे पहले वह 2019 में बेलूरघाट से लोकसभा चुनाव हार गयी थीं।

रजनी पाटिल सहित पांच सदस्यों ने ली राज्यसभा की सदस्यता की शपथ

संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने पर सोमवार को राज्यसभा में रजनी अशोक राव पाटिल तथा चार अन्य नवनिर्वाचित सदस्यों को उच्च सदन की सदस्यता की शपथ दिलाई गई। राज्यसभा की बैठक शुरू होने पर इन सदस्यों ने शपथ ली। कांग्रेस की रजनी पाटिल ने सबसे पहले शपथ ली। वह उच्च सदन में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करेंगी। रजनी (63) अपने भाई और सदन के सदस्य राजीव सातव (कांग्रेस) का मई में कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद उत्पन्न जटिलताओं से निधन होने की वजह से रिक्त हुई सीट पर महाराष्ट्र से उच्च सदन के लिए निर्वाचित हुई हैं।

रजनी ने मराठी में शपथ ली। वह 2013-18 के दौरान भी राज्यसभा की सदस्य रह चुकी हैं। महाराष्ट्र में परंपरा रही है कि वर्तमान सांसद का निधन होने पर रिक्त हुई सीट के लिए चुनाव निर्विरोध होता है। इसे देखते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने सदस्य संजय उपाध्याय का नाम वापस ले लिया और रजनी उच्च सदन के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुईं। रजनी के बाद द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) के तमिलनाडु से नवनिर्वाचित सदस्य कनिमोझी एन.वी.एन सोमू, के.आर.एन. राजेश कुमार और एम.एम.अब्दुल्ला ने भी शपथ ली।

इन तीनों सदस्यों ने तमिल में शपथ ली। तीनों के शपथ लेने के बाद राज्यसभा में अब द्रमुक के सदस्यों की संख्या दस हो गई है। कनिमोझी एन.वी.एन. सोमू पूर्व केंद्रीय मंत्री एन.वी.एन. सोमू की पुत्री हैं। तृणमूल कांग्रेस के लुइजिन्हो फालेयरो ने कोंकणी में शपथ ली। फालेयरो उच्च सदन में पश्चिम बंगाल का प्रतिनिधित्व करेंगे।

इससे पहले सभापति ने बैठक शुरू होने पर राज्यसभा के नए महासचिव पी सी मोदी का सदस्यों से परिचय कराया। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद चंद्र मोदी ने 12 नवंबर को राज्यसभा के नए महासचिव का पदभार ग्रहण किया। राज्यसभा के महासचिव, सचिवालय के प्रशासनिक प्रमुख तथा सभापति की ओर से और उनके नाम से संचालित सभी प्रशासनिक और अधिशासी कार्यों के समग्र प्रभारी होते हैं।

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