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Parliament Monsoon Session LIVE: 6 साल और 132 मामले, ईडी शिकंजा, मौजूदा-पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ एक्शन, देखें साल दर साल आंकड़े

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 6, 2024 18:48 IST

Parliament Monsoon Session LIVE: एक जनवरी, 2019 से इस साल 31 जुलाई के बीच ‘‘मौजूदा और पूर्व सांसदों, विधायकों, विधान पार्षदों और राजनीतिक नेताओं या किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े किसी भी व्यक्ति’’ के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज ईसीआईआर का ब्योरा दिया।

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ठळक मुद्दे2019 में 15 प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) या धन शोधन के मामले दर्ज किए। 2023 में 26 मामले और 2024 में 31 जुलाई तक तीन मामले दर्ज किए। मामलों में 2020 में केवल एक दोषसिद्धि की सूचना मिली थी।

Parliament Monsoon Session LIVE: सरकार ने मंगलवार को बताया कि पिछले छह वर्षों में राजनीतिक नेताओं के अलावा मौजूदा और पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ धन शोधन के कुल 132 मामले दर्ज किए गए हैं। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा को एक लिखित जवाब के तहत प्रवर्तन निदेशालय द्वारा प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर), विचाराधीन मामलों और दोषसिद्धि से संबंधित आंकड़े साझा किए। उन्होंने एक जनवरी, 2019 से इस साल 31 जुलाई के बीच ‘‘मौजूदा और पूर्व सांसदों, विधायकों, विधान पार्षदों और राजनीतिक नेताओं या किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े किसी भी व्यक्ति’’ के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज ईसीआईआर का ब्योरा दिया।

जवाब के अनुसार, ईडी ने 2019 में 15 प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) या धन शोधन के मामले दर्ज किए। इसके बाद 2020 में 28 मामले, 2021 में 26 मामले, 2022 में 34 मामले, 2023 में 26 मामले और 2024 में 31 जुलाई तक तीन मामले दर्ज किए। जवाब में कहा गया है कि इन मामलों में कुल तीन मामलों में अदालती सुनवाई पूरी हुई - एक 2020 में और दो 2023 में। जवाब के अनुसार, इन मामलों में 2020 में केवल एक दोषसिद्धि की सूचना मिली थी।

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने रक्षा बजट में कटौती को लेकर सरकार पर कटाक्ष करते हुए मंगलवार को कहा कि सरकार कुर्सी बचाने में मस्त है। मोइत्रा ने लोकसभा में वित्त विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि सरकार ने अपनी कुर्सी बचाने के चक्कर में अपने ‘‘देश की सीमा की ओर’’ ध्यान नहीं दिया।

उन्होंने कहा कि सरकार ने रक्षा बजट में व्यापक कटौती की है, साथ ही इसने चीन के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अप्रैल 2020 की स्थिति बहाल करने के लिए भी कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की ओर से भी सीमा पर समान स्थिति है। उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा, ‘‘आप कुर्सी बचाने में मस्त हैं, देश को भी देखिए।’’

मोइत्रा ने कहा कि केंद्र सरकार की कर प्रणाली प्रतिगामी है और मौजूदा वित्त वर्ष के लिए किये गये कर प्रावधान मध्यम वर्ग के लिए नुकसानदायक और अमीरों एवं कॉरपोरेट घरानों के लिए लाभदायक हैं। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को ‘युक्तिपूर्ण’ बनाने के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर में संतुलन बनाये रखना जरूरी है, लेकिन सरकार इस मामले में चूक गई है।

उन्होंने कॉरपोरेट टैक्स में की गयी कटौती को गलत निर्णय करार देते हुए कहा कि देश का मध्यम वर्ग कर के बोझ तले कराह रहा है, लेकिन सरकार इसी वर्ग का अधिक शोषण कर रही है, जबकि कॉरपोरेट कंपनियों को टैक्स में छूट दी जा रही है। तृणमूल सांसद ने मौजूदा जीएसटी व्यवस्था के तहत कृषि उपकरणों एवं संबंधित चीजों पर कर लगाने को प्रतिगामी फैसला करार देते हुए कहा कि जनता केंद्र की कर नीतियों से परेशान है और इसे खत्म किया जाना चाहिए।

मोइत्रा ने बीमा पॉलिसी पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाये जाने को भी अनावश्यक करार देते हुए इसे यथाशीघ्र समाप्त करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि रोजगार सृजन के मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का बहुत ही खराब रिकॉर्ड रहा है। उन्होंने कहा कि वास्तविक समस्या यह है कि युवा इतने निरुत्साहित हो गये हैं कि उन्होंने नौकरियों की तलाश ही छोड़ दी है।

समाजवादी पार्टी के रमाशंकर राजभर ने कहा कि सरकार का धन प्रबंधन कैसा है, इस बात से समझ में आ जाता है कि सांसदों को पांच करोड़ रुपये सांसद निधि मिलने की बात कही जाती है लेकिन जीएसटी आदि कटने के बाद तीन करोड़ 90 लाख रुपये के ही विकास कार्य कराये जा सकते हैं।

शिवसेना (यूबीटी) के सदस्य अनिल देसाई ने कहा कि सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र में रिक्तियां निकालनी चाहिए और बेरोजगारी पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने बीमा पर 18 प्रतिशत जीएसटी को वापस लिये जाने की मांग की। वहीं लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) की सांसद शांभवी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज देश के पास नेता है, नीति है और देश का विकास करने की नियत भी है।

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