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Parliament 2023: वर्ष 2011 के बाद से भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की कुल संख्या 1663440, यहां देखें 2011-2022 तक आंकड़े

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 9, 2023 19:02 IST

Parliament 2023: 2018 में 1,34,561, 2019 में 1,44,017, 2020 में 85,256 और 2021 में 1,63,370 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी थी। 2022 में यह संख्या 2,25,620 थी।

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ठळक मुद्देएस जयशंकर ने कहा कि संदर्भ के लिए 2011 के आंकड़े 1,22,819 थे।2012 में यह 1,20,923, 2013 में 1,31,405 और 2014 में 1,29,328 थे।सर्वाधिक 2,25,620 भारतीय ऐसे हैं जिन्होंने पिछले साल भारतीय नागरिकता छोड़ी है।

नई दिल्लीः सरकार द्वारा बृहस्पतिवार को राज्यसभा में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2011 से 16 लाख से अधिक भारतीयों ने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ दी है। इनमें से सर्वाधिक 2,25,620 भारतीय ऐसे हैं जिन्होंने पिछले साल भारतीय नागरिकता छोड़ी है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने वर्षवार भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या का ब्योरा देते हुए बताया कि कहा कि 2015 में 1,31,489 जबकि 2016 में 1,41,603 लोगों ने नागरिकता छोड़ी और 2017 में 1,33,049 लोगों ने नागरिकता छोड़ी।

उनके मुताबिक 2018 में यह संख्या 1,34,561 थी, जबकि 2019 में 1,44,017, 2020 में 85,256 और 2021 में 1,63,370 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी थी। मंत्री के अनुसार, 2022 में यह संख्या 2,25,620 थी। जयशंकर ने कहा कि संदर्भ के लिए 2011 के आंकड़े 1,22,819 थे, जबकि 2012 में यह 1,20,923, 2013 में 1,31,405 और 2014 में 1,29,328 थे।

वर्ष 2011 के बाद से भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की कुल संख्या 16,63,440 है। उन्होंने कहा कि सूचना के अनुसार पिछले तीन वर्षों के दौरान पांच भारतीय नागरिकों ने संयुक्त अरब अमीरात की नागरिकता प्राप्त की है। जयशंकर ने उन 135 देशों की सूची भी उपलब्ध कराई जिनकी नागरिकता भारतीयों ने हासिल की है।

एक अन्य सवाल के जवाब में विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा कि सरकार हाल के महीनों में अमेरिकी कंपनियों द्वारा पेशेवरों की छंटनी के मुद्दे से अवगत है। उन्होंने कहा कि इनमें से एक निश्चित प्रतिशत एच-1बी और एल1 वीजा धारक भारतीय नागरिकों के होने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने अमेरिकी सरकार के समक्ष आईटी पेशेवरों सहित उच्च कुशल श्रमिकों से संबंधित मुद्दों को लगातार उठाया है। मुरलीधरन ने कहा, ‘‘सरकार इन मुद्दों पर उद्योग संगठनों और व्यापार मंडलों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ भी काम कर रही है।’’ 

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