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साल के दूसरे बैट हमले में पोर्टर का सिर काट ले गए पाक सैनिक, एक जनवरी को भी नौशेरा में बैट हमले में शहीद हुए थे दो सैनिक

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: January 12, 2020 05:08 IST

एलओसी पर बार्डर रेडर्स के हमले कोई नए नहीं हैं। इन हमलों के पीछे का मकसद हमेशा ही भातीय सीमा चौकिओं पर कब्जा जमाना रहा है। पाक सेना की कोशिश कोई नई नहीं है। करगिल युद्ध की समाप्ति के बाद हार से बौखलाई पाक सेना ने बार्डर रेडर्स टीम का गठन कर एलओसी पर ऐसी बीसियों कमांडों कार्रवाईयां करके भारतीय सेना को जबरदस्त क्षति सहन करने को मजबूर किया है।

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ठळक मुद्देपाक सेना ने साल के दूसरे बैट हमले में अब एक पोर्टर का सिर काट डाला।इससे पहले बैट हमले में एक जनवरी को ही दो भारतीय सैनिकों को मार डाला गया था और उनके शवों के साथ बेअदबी की गई थी।

पाक सेना ने साल के दूसरे बैट हमले में अब एक पोर्टर का सिर काट डाला। इससे पहले बैट हमले में एक जनवरी को ही दो भारतीय सैनिकों को मार डाला गया था और उनके शवों के साथ बेअदबी की गई थी। इन बैट हमलों के बाद एलओसी पर हाई अलर्ट जारी किया गया है क्योंकि सूचनाएं कहती हैं कि पाक कमांडों ऐसे और बैट हमलों को अंजाम दे सकते हैं।

कल पुंछ के गुलपुर में हुए बैट हमले में सेना के दो पोर्टरों - मुहम्मद असलम तथा मुहम्मद अल्ताफ - की मौत हो गई थी जबकि तीन अन्य पोर्टरों और 3 सैनिकों समेत 6 गंभीर रूप से जमी हो गए थे। एलओसी पर यह इस साल का दूसरा हमला था जिसमें पाक कमांडो एक पोर्टर का सिर ही काट कर ले गए। ऐसा ही एक हमला नौशहरा एक जनवरी को भी हुआ था जिसमंे दो जवान शहीद हो गए और उनके शवों के साथ बेअदबी की गई।

पाकिस्तान द्वारा संघर्ष विराम के उल्लंघन में हुई हालिया बढ़ोतरी के कारण जम्मू कश्मीर में एलओसी से सटे इलाकों में बढ़े तनाव के बीच सेना ने बताया कि उन्हें प्राप्त सूचना के मुताबिक, पाकिस्तान एलओसी पर और अधिक कमांडो हमले की कोशिश कर रहा है। बार्डर रेडर्स के नाम से जाने जाने वाले यह कमांडों पाकिस्तान के विशेष बलों के कर्मियों और आतंकियों का एक मिलाजुला स्वरूप है। पिछले कुछ सालों में पाक बार्डर रेडर्स भारत के कई सैनिकों की नृशंस हत्या कर चुका है। कईयों के वह सिर भी काट कर ले जा चुका है।

एलओसी पर बार्डर रेडर्स के हमले कोई नए नहीं हैं। इन हमलों के पीछे का मकसद हमेशा ही भातीय सीमा चौकिओं पर कब्जा जमाना रहा है। पाक सेना की कोशिश कोई नई नहीं है। करगिल युद्ध की समाप्ति के बाद हार से बौखलाई पाक सेना ने बार्डर रेडर्स टीम का गठन कर एलओसी पर ऐसी बीसियों कमांडों कार्रवाईयां करके भारतीय सेना को जबरदस्त क्षति सहन करने को मजबूर किया है।

26 जुलाई 1999 को जब करगिल युद्ध की समाप्ति की घोषणा हुई तो उधर पाक सेना ने अपने खतरनाक मंसूबों को अंजाम देना आरंभ कर दिया था। उसने त्रिस्तरीय रणनीति बनाई जिसके पीछे का मकसद भारतीय सेना को अधिक से अधिक नुक्सान पहुंचाना तो था ही कश्मीर में भी लोग त्राहि-त्राहि कर उठे थे।

करगिल युद्ध के बाद ही शुरूआत हुई थी भारतीय सीमा चौकिओं पर बार्डर रेडर्स के हमलों की। हालांकि सैन्य सूत्र कहते हैं कि पाक सेना द्वारा गठित बार्डर रेडर्स में आतंकी भी शामिल होते हैं जिन्हें हमलों में इसलिए शामिल किया जाता रहा है ताकि वे कश्मीर में घुसने के बाद वहशी कृत्यों को अंजाम दे सकें। पिछले 21 सालों में कितनी बार पाक सेना के कमांडों ने भारतीय सीमा चौकिओं पर हमले किए कोई आधिकारिक आंकड़ा मौजूद नहीं है।

इतना जरूर था कि बार्डर रेडर्स के हमले ज्यादातर एलओसी के इलाकों में ही हुए थे। इंटरनेशनल बार्डर पर पाक सेना ऐसी हिम्मत नहीं दिखा पाई थी। जबकि राजौरी और पुंछ के इलाके ही बार्डर रेडर्स के हमलों से सबसे अधिक त्रस्त इसलिए भी रहे थे क्योंकि एलओसी से सटे इन दोनों जिलों में कई फारवर्ड पोस्टों तक पहुंच पाना दिन के उजाले में संभव इसलिए नहीं होता था क्योंकि पाक सेना की बंदूकें आग बरसाती रहती थी।

कौन है पाकिस्तान की खूनी टुकड़ी बैट

बैट अर्थात बार्डर एक्शन टीम कह लिजिए या फिर बार्डर रेडर्स, एलओसी पर छापामार युद्ध में माहिर है। ये पाकिस्तान सेना की स्पेशल सर्विस ग्रुप के साथ काम करती है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई इसे सूचनाएं मुहैया करवाती है। बैट एलओसी या सीमा पर दुश्मन के इलाके में एक से तीन किमी अंदर जाकर हमले करती है। चार हफ्ते हवाई युद्ध के साथ ही इनकी कुल ट्रेनिंग करीब 8 महीनों की होती है। इस टीम का मकसद सीमा पार जाकर छोटे-छोटे हमलों को अंजाम देकर दुश्मन में दहशत फैलाना है। हमलों के दौरान बैट इनाम के तौर पर दुश्मन के सिपाहियों का सिर काट कर अपने साथ ले जाती है।

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