क्या पहलगाम त्रासदी विभाजन के अनसुलझे सवालों का परिणाम?, मणिशंकर अय्यर के बयान का राशिद अल्वी का समर्थन किया
By सतीश कुमार सिंह | Updated: April 27, 2025 15:23 IST2025-04-27T15:22:11+5:302025-04-27T15:23:00+5:30
Pahalgam attack: पहलगाम हमले की जांच में सहयोग करने के बारे में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बयान पर राशिद अल्वी ने कहा कि पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

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नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए क्रूर आतंकी हमले में 26 मासूम लोगों की मौत के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष की ऐतिहासिक जड़ों पर विचार किया और सीधे विभाजन की विरासत की ओर इशारा किया। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद मणिशंकर अय्यर के विभाजन संबंधी बयान का जोरदार समर्थन करते हुए अल्वी ने कहा कि यह बिल्कुल सच है, भारत का विभाजन एक गलती थी और हम आज भी इसकी कीमत चुका रहे हैं। अगर विभाजन नहीं हुआ होता तो शायद पहलगाम जैसी घटनाएं और अन्य आतंकी हमले नहीं होते। लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती थी। पहलगाम हमले की जांच में सहयोग करने के बारे में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बयान पर राशिद अल्वी ने कहा कि पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
Delhi: On Pakistan PM Shehbaz Sharif's statement about cooperating in the Pahalgam attack investigation, Congress leader Rashid Alvi says, "Pakistan cannot be trusted. They are giving this statement to try to prove themselves clean in the world but it is not possible. When the… pic.twitter.com/9uUPTvhxFY
— IANS (@ians_india) April 27, 2025
वे दुनिया में खुद को पाक-साफ साबित करने के लिए यह बयान दे रहे हैं लेकिन यह संभव नहीं है। जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को दोषी ठहराया है तो वे इस बयान को झूठा साबित करने के लिए कह रहे हैं। अय्यर ने शनिवार को आश्चर्य व्यक्त किया कि क्या पहलगाम त्रासदी विभाजन के अनसुलझे सवालों का परिणाम थी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यहां एक पुस्तक विमोचन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि उस समय भी देश के सामने प्रश्न था और आज भी वही प्रश्न है, वह यह है कि क्या भारत में मुसलमान खुद को स्वीकार्य, स्नेह प्राप्त और सम्मानित महसूस करते हैं? उन्होंने कहा, ‘‘कई लोगों ने लगभग विभाजन को रोक दिया था, लेकिन ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि गांधीजी, पंडित नेहरू, जिन्ना और जिन्ना से असहमत कई अन्य मुसलमानों के बीच भारत की राष्ट्रीयता और इसकी सभ्यतागत विरासत की प्रकृति की मूल्य प्रणालियों और आकलन में मतभेद थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन सच्चाई यह है कि विभाजन हुआ और आज तक हम उस बंटवारे के परिणामों के साथ जी रहे हैं। क्या हमें इसी तरह जीना चाहिए? क्या बंटवारे के अनसुलझे सवाल ही 22 अप्रैल को पहलगाम में हुई भयानक त्रासदी में प्रतिबिंबित हुए हैं।’’ अय्यर ने कहा कि उपमहाद्वीप में मुसलमानों का मसीहा बनने का पाकिस्तान का सपना 1971 के युद्ध के बाद खत्म हो गया।
जब बांग्लादेश एक अलग देश बन गया। कांग्रेस नेता ने कहा कि 1971 का विभाजन हुआ था, जब पाकिस्तान की आधी से अधिक आबादी और उसके बहुत महत्वपूर्ण भूभाग को जानबूझकर इस आधार पर पाकिस्तान से अलग कर दिया गया था कि मुसलमान होना ही पर्याप्त नहीं है, बंगाली होना भी आवश्यक है।
उन्होंने कहा,‘‘और यह समझने में विफलता कि प्रत्येक आजादी के इस पहचान के एक से अधिक आयाम होते हैं, 1971 में पाकिस्तान के साथ जो हुआ उसके लिए जिम्मेदार थी। भारत के मुसलमानों की मातृभूमि होने और पूरे उपमहाद्वीप में मुस्लिम समुदाय के मसीहा के रूप में पहचाने जाने का उसका सपना हमेशा के लिए खत्म हो गया।’’
विभाजन-पूर्व काल का संदर्भ देते हुए अय्यर ने कहा कि वास्तविक प्रश्न जो उस समय भारत के समक्ष था और जो आज भी उसे परेशान कर रहा है, वह यह है कि उस समय लगभग 10 करोड़ मुसलमानों और अब लगभग 20 करोड़ मुसलमानों के साथ क्या किया जाए। उन्होंने आगे कहा, ‘‘क्या हम जिन्ना के दृष्टिकोण को स्वीकार करते हैं और कहते हैं ‘नहीं, वे एक अलग राष्ट्र हैं जो हमारे बीच विध्वंसक या संभावित विध्वंसक के रूप में रह रहे हैं’, या हम उन्हें देखते हैं और कहते हैं ‘वे हमारे अभिन्न अंग हैं’?
क्या हम खुद को एक समग्र के रूप में परिभाषित करते हैं या हम कहते हैं ‘नहीं, हमारी पहचान में केवल एक आयाम है और वह हिंदू धर्म का धार्मिक आयाम है’?’’ अय्यर ने कहा, ‘‘लेकिन आज के भारत में क्या मुसलमान यह महसूस करता है कि उसे स्वीकार किया जा रहा है? क्या मुसलमान यह महसूस करता है कि उसे स्नेह दिया जा रहा है? क्या मुसलमान यह महसूस करता है कि उसे सम्मानित किया जा रहा है? मैं अपने सवालों का जवाब क्यों दूं? किसी भी मुसलमान से पूछिए और आपको जवाब मिल जाएगा।’’