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इला भट्ट का निधन: महिला अधिकारों की मुखर आवाज, जो अब हमेशा के लिए खामोश हो गई

By भाषा | Published: November 02, 2022 9:04 PM

प्रख्यात महिला अधिकार कार्यकर्ता और ‘सेल्फ एम्प्लॉयड वुमेन्स एसोसिएशन’ (सेवा) की संस्थापक इला भट्ट का आयु संबंधी बीमारियों के चलते निधन हो गया।

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ठळक मुद्देपद्म भूषण और मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित भट्ट (89) का बुधवार को निधन हो गयाउन्होंने 1972 में ‘सेल्फ एम्प्लॉयड वुमेन्स एसोसिएशन’ (‘सेवा’) की स्थापना की थीप्रधानमंत्री मोदी, राहुल गांधी और खरगे ने इला भट्ट के निधन पर शोक जताया

अहमदाबाद: वकील और सामाजिक कार्यकर्ता इला भट्ट ने स्वरोजगार करने वाली महिलाओं के श्रम अधिकारों के लिए पांच दशक से अधिक समय तक संघर्ष किया। पद्म भूषण और मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित भट्ट (89) का बुधवार को निधन हो गया। उन्होंने स्वरोजगार करने वाली गरीब महिलाओं की पीड़ा को देखकर 1972 में ‘सेल्फ एम्प्लॉयड वुमेन्स एसोसिएशन’ (‘सेवा’) की स्थापना की थी।

स्थापना के तीन वर्षों के भीतर ‘सेवा’ के सदस्यों की संख्या 7,000 हो गई और फिर सरकार ने इसे ट्रेड यूनियन के रूप में पंजीकृत किया। हालांकि इसमें कई मुश्किलें सामने आईं। दिसंबर 1995 तक इसके सदस्यों की संख्या बढ़कर लगभग 2,20,000 हो गई और यह भारत में सबसे बड़ा एकल संघ बन गया। 

‘सेवा’ सदस्यों ने अपने संगठन और एकजुटता के जरिए नियोक्ताओं से अपनी शर्तों के साथ बातचीत करने की शक्ति हासिल की और सदस्यों के लिए स्वास्थ्य, मातृत्व लाभ आदि योजनाओं की व्यवस्था की। ‘सेवा’ सदस्यों ने विभिन्न व्यापार समूहों की दर्जनों सहकारी समितियों की स्थापना की, जिसका मकसद कौशल और विशेषज्ञता साझा करना, नए उपकरण, डिजाइन और तकनीक विकसित करना और थोक खरीद व संयुक्त बाजार में जगह बनाना था। 

इन सहकारी समितियों में औसतन 1,000 से अधिक सदस्य हैं। भट्ट का जन्म 1933 में हुआ। वह पहले वकील, फिर सामाजिक कार्यकर्ता और 1968 में अहमदाबाद में वस्त्र श्रम संघ की महिला वर्ग की प्रमुख बनीं। इस पद पर रहते हुए वह शहर में और एशिया में अन्य जगहों पर स्व-रोजगार करने वाली गरीब महिलाओं की परेशानियों से रूबरू हुईं। 

इन महिलाओं में बुनकर, सिगरेट के रोलर बनाने वालीं, फल, मछली और सब्जियां बेचने वालीं, लकड़ी और कचरा बीनने वालीं और सड़क निर्माण मजदूर शामिल थीं। इन महिलाओं को अपनी दुकानों और या कामकाज में इस्तेमाल होने वाले औजारों को लिए भारी-भरकम किराया देना पड़ता था। साथ ही साहूकार, नियोक्ता और अधिकारी भी नियमित रूप से उनका शोषण या उत्पीड़न करते थे। 

अहमदाबाद में, इनमें से 97 प्रतिशत महिलाएं झुग्गी-झोपड़ियों में रहती थीं। 93 प्रतिशत निरक्षर थीं, अधिकतर महिलाएं कर्ज में डूबी थीं और उन्हें अपने कुछ या सभी बच्चों को काम करने के लिए अपने साथ ले जाना पड़ता था। इस स्थिति से निपटने के लिए ही 1972 में भट्ट ने ‘सेवा’ की स्थापना की। 

संघ ने 1974 में अपना बैंक स्थापित किया। बैंक की स्थापना ने हजारों महिलाओं और उनकी निजी संपत्ति को साहूकारों से बचाया। इससे उन्हें भूमि, छोटी संपत्ति और उत्पादन के साधन जमा करने का अवसर मिला। इस बैंक का ऋण चुकाने वालों की दर 96 प्रतिशत है, जो काफी प्रभावशाली है। यह संगठन ‘इंटरनेशनल यूनियन ऑफ फूड एंड टोबैको वर्कर्स’ और ‘इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ प्लांटेशन, एग्रीकल्चर एंड अलाइड वर्कर्स’ से संबद्ध है। 

भट्ट 1986 से 1989 तक राज्यसभा की मनोनीत सदस्य रहीं। वह 1989 से 1991 तक योजना आयोग की सदस्य भी रहीं। वह दक्षिण अफ्रीका के दिवंगत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला द्वारा स्थापित वैश्विक नेताओं के एक समूह “द एल्डर्स” की सदस्य भी थीं। 2010 में, भट्ट को ‘निवानो’ शांति पुरस्कार और पहले ‘ग्लोबल फेयरनेस’ अवार्ड से सम्मानित किया गया था। 

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