ब्लॉग: मानव विकास सूचकांक में बेहतरी के प्रयास जरूरी

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: April 1, 2024 09:54 AM2024-04-01T09:54:37+5:302024-04-01T09:58:51+5:30

19 मार्च को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में प्रति व्यक्ति आय में लगातार वृद्धि हो रही है, वहीं राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के मुताबिक भारत में आम आदमी की आमदनी बढ़ने और उनके द्वारा भोजन पर कम और कपड़े, मनोरंजन व अन्य मदों पर अधिक खर्च किए जाने से उनके जीवन स्तर में धीरे-धीरे बेहतरी आ रही है।

Improvement of Human Development Index is necessary | ब्लॉग: मानव विकास सूचकांक में बेहतरी के प्रयास जरूरी

फोटो क्रेडिट- (एक्स)

Highlightsएचडीआई रिपोर्ट 2022 में भारत अब 193 में से 134वें स्थान पर हैभारत की रैंकिंग में पिछले वर्ष की एचडीआई-2021 के मुकाबले एक पायदान का सुधार हुआ है19 मार्च को आरबीआई की रिपोर्ट में कहा, भारत में प्रति व्यक्ति आय में लगातार वृद्धि हो रही है

जयंतीलाल भंडारी: हाल ही में संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) रिपोर्ट 2022 में भारत अब 193 में से 134वें स्थान पर है। भारत की रैंकिंग में पिछले वर्ष की एचडीआई-2021 रिपोर्ट के मुकाबले एक पायदान का सुधार हुआ है। नई रिपोर्ट जारी करने के बाद संयुक्त राष्ट्र ने भारतीय लोगों के मानव विकास सूचकांक में भारत की औसत बढ़त को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ कहा है और भारत की सराहना की है।

जहां 19 मार्च को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में प्रति व्यक्ति आय में लगातार वृद्धि हो रही है, वहीं राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के मुताबिक भारत में आम आदमी की आमदनी बढ़ने और उनके द्वारा भोजन पर कम और कपड़े, मनोरंजन व अन्य मदों पर अधिक खर्च किए जाने से उनके जीवन स्तर में धीरे-धीरे बेहतरी आ रही है। फिर भी अभी दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत को मानव विकास सूचकांक में आगे बढ़ने के लिए ठोस व कारगर प्रयासों की जरूरत स्पष्ट दिखाई दे रही है।
 
अभी भी दुनिया के अनेक देशों की तुलना में मानव विकास सूचकांक में देश बहुत पीछे है। ऐसे में हमें यह ध्यान रखना होगा कि जहां अर्थव्यवस्था समाज का अहम हिस्सा है वहीं मानव विकास भी उतना ही महत्वपूर्ण है। सरकार के द्वारा सामाजिक अधोसंरचना पर उसी तरह निवेश किया जाना होगा, जिस तरह भौतिक अधोसंरचना पर खर्च किया जा रहा है। अभी देश में करोड़ों लोगों की गरीबी और स्वास्थ्य की चुनौतियां बड़े पैमाने पर स्पष्ट दिखाई दे रही हैं।

देश में अभी भी 15 करोड़ से अधिक लोग गरीबी की चिंताओं का सामना कर रहे हैं। ज्ञातव्य है कि 2017 में नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में 2025 तक स्वास्थ्य पर खर्च को सकल घरेलू उत्पाद का 2।5 प्रतिशत किया जाना निर्धारित किया गया था। फिर पंद्रहवें वित्त आयोग ने पहली बार स्वास्थ्य के लिए उच्च-स्तरीय कमेटी गठित की थी। इस कमेटी ने भी स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च को 2।5 प्रतिशत तक बढ़ाने की बात कही है। इस मामले में देश अभी भी पीछे है।
 
हम उम्मीद करें कि सरकार द्वारा यूएनपीडी की मानव विकास सूचकांक रिपोर्ट 2022 के मद्देनजर देश में मानव विकास की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली, न्यायसंगत और उच्च गुणवत्ता वाली सार्वजनिक शिक्षा, कौशल विकास, रोजगार, सार्वजनिक सेवाओं में स्वच्छता, बहुआयामी गरीबी, भूख और कुपोषण खत्म करने के लिए नई जनकल्याण योजनाओं, सामुदायिक रसोई व्यवस्था तथा पोषण अभियान-2 को पूरी तरह कारगर व सफल बनाया जाएगा। निश्चित रूप से ऐसा होने पर आगामी वर्ष प्रकाशित होने वाले मानव विकास सूचकांक में भारत की मानव विकास रैंकिंग में सुधार आएगा।

Web Title: Improvement of Human Development Index is necessary

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