पटनाः बिहार में धान एवं चावल की खरीद में घोटाले के मामले सामने आए हैं। पता चला है कि पैक्स के जरिए धान एवं चावल की खरीद में भारी अनियमितता की गई थी। धान एवं गेहूं घोटाले में अब सहकारिता विभाग की सख्त नजर है। रजिस्ट्रार, सहयोग समितियां अंशुल अग्रवाल ने 12 जिलों में "अनाज के गबन और गड़बड़ी" के खुलासे के बाद संबंधित डीसीओ और सहकारिता प्रसार पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का हुक्मनामा जारी किया है। चारा घोटाला की तर्ज पर बिहार के अधिकारियों ने घोटाले को अंजाम दिया। चारा घोटाले में स्कूटर पर लाखों रुपये के चारे की ढुलाई की बात सामने आई थी। ठीक उसी तरह धान एवं चावल घोटाले में कागजों पर चावल ढुलाई दर्ज कर दी गई। जबकि ढुलाई में प्रयोग लाए जाने वाले वाहनों में स्कूटर और अन्य दुपहिया वाहनों के नंबर दर्ज हैं।
जांच में पता चला कि पूर्वी चंपारण, गया और कैमूर जिलों में ट्रक नंबर के स्थान पर टेंपो और स्कूटर के नंबर डालकर इन पर सैकड़ों क्विंटल धान-चावल का ट्रांसपोर्टेशन दिखा दिया गया। मिल मालिकों के साथ अफसरों की मिलीभगत से राइस मिलों में कुटाई के लिए जितना धान जमा करना था, उससे आधा या चौथाई धान ही में जमा किया गया।
वहीं, चावल गबन करने के बाद अधिकारियों ने कागजों पर इसे गलत ट्रक संख्या और मात्रा के साथ दर्ज कर दिया। रिकॉर्ड में दिखाया गया कि मिल में चावल तैयार होने के बाद उसे सरकारी गोदाम के बजाय बाजार में बेच दिया गया। जांच में सामने आया कि जिन गोदामों में 7 लाख 21 हजार 234 एमटी धान होना चाहिए था, वहां सिर्फ 6 लाख 35 हजार 152 एमटी धान ही मिला।
यानी लगभग 86 हज़ार एमटी धान 'गायब' है। जिन जिलों में ये घोटाला सामने आया है, उनमें पटना, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, वैशाली, चंपारण, बेगूसराय, मधेपुरा, सीतामढ़ी, मुंगेर, नालंदा, अररिया जैसे जिले शामिल हैं। जांच दल जब मौके पर पहुंचा तो कई समितियों के गोदाम बंद मिले और कुछ में मिलिंग के नाम पर धान गायब मिला। कई जगह धान के बैग तक नहीं मिले।
यानी गुनाह को छिपाने की तैयारी पहले से थी। आरोप है कि कई पैक्सों ने नियमानुसार सीएमआर चावल जमा करने के बजाय धान को बिना हिसाब किताब के राइस मिलरों को ट्रांसफर कर दिया। यह खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की गाइडलाइन के साफ उल्लंघन का मामला है। अब न सिर्फ इन समितियों पर डिफाल्टर होने का खतरा है बल्कि रजिस्ट्रार ने भी आपराधिक कार्रवाई की तैयारी कर ली है।
अगर 31 अगस्त तक चावल जमा नहीं किया गया तो 1500 करोड़ की सरकारी राशि समितियों को नहीं मिलेगी। यानी पहले धान घोटाला, अब वित्तीय संकट पैक्स दोहरी मार झेलने को तैयार रहे। वहीं, 1573 करोड़ के धान घोटाले की सीआईडी जांच में नए खुलासे हुए हैं। सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि चारा घोटाले की तरह ही धान घोटाले में भी स्कूटर और ऑटो और कार से सैकड़ों टन धान राइस मिल तक पहुंचाए गए। हद तो यह कि जहां राइस मिल नहीं थे, वहां भी धान पहुंचा दिए गए।
मुजफ्फरपुर के बोचहां थाने में दर्ज इस मामले की जांच के क्रम में कई चौंकाने वाले तथ्य मिले हैं। यहां तीन राइस मिल मालिकों पर 11 करोड़ रुपए के घोटाले का मामला दर्ज है। सबसे पहले साल 2012-13 में ऐसा मामला सामने आया था। साल 2012 से अगले तीन वर्षों के दौरान चावल मिल मालिकों ने 1573 करोड़ के 74 लाख टन से अधिक के धान के बदले चावल नहीं दिया।
सीआईडी राज्य के 1400 से अधिक चावल मिल मालिकों के खिलाफ जांच कर रही है। अब तक 280 सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई हो चुकी है। बीएसएफसी के तत्कालीन जिला प्रबंधक संजय प्रियदर्शी पर आरोप है कि 2012-13 में राइस मिलों को धान देकर सरकार को 30.69 करोड़ से अधिक की क्षति पहुंचाई।
वहीं, बंदरा, कटरा व साहेबगंज के सीआई पर भी राशि गबन करने की पुष्टि हुई है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, मुजफ्फरपुर के राइस मिल में जिन वाहनों से धान पहुंचाए गए, उसमें 21 नंबर अवैध हैं। इसमें 10 नंबर बाइक व स्कूटर, 4 ऑटो, 4 बस और बगैर ट्रैक्टर के तीन ट्रेलर के नंबर हैं। परिवहन कार्यालय से प्राप्त ब्योरा के अनुसार, धान ढुलाई में प्रयोग किए गए यूपी-64 सी 4832 नंबर की गाड़ी यूपी के सोनभद्र की दयवंती देवी के नाम से रजिस्टर्ड महिंद्रा कार है। जेएच-05एम 2549 नंबर की गाड़ी जांच में जमशेदपुर के मनीष की बजाज पल्सर बाइक निकली।
यूपी-16एबी 6109 नंबर, नोएडा के प्रेमचंद की होंडा एक्टिवा है। उधर, किसानों से कम दाम में धान खरीद कर कई पैक्स अध्यक्षों ने अपने खेत में इसकी पैदावार (सैकड़ों क्विंटल) दिखा दी। जमीन की फर्जी एलपीसी भी बनवा ली। अधिकारियों ने दूसरे जिले व राज्य के मिलरों के साथ गलत अनुबंध कर धान दिया।
स्टेट फूड एंड सिविल सप्लाइज कॉरपोरेशन के जिला प्रबंधक ने पूर्वी चंपारण के 3 राइस मिलों, शेखपुरा व बेगूसराय के एक-एक राइस मिल को धान दिया। पश्चिम बंगाल के चार मिल मालिकों को भी धान उपलब्ध कराया। लेकिन बदले में चावल नहीं मिला।
इधर, राज्य पुलिस के प्रवक्ता व एडीजी (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन ने बताया कि सीआईडी के अधीन इस मामले की एसआईटी बनाकर जांच की जा रही है। कुछ मामलों में आर्थिक अपराध इकाई ने भी पूर्व में जांच की थी। कई लोगों पर सर्टिफिकेट केस भी किए गए हैं। वहीं, सहकारिता मंत्री प्रेम कुमार ने भी केंद्र को पत्र लिखकर मामले की गंभीरता से जांच की मांग की है।