IIT में पिछले 5 साल में 7,000 से अधिक बीटेक छात्रों ने बदला विषय

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 9, 2019 08:51 AM2019-12-09T08:51:54+5:302019-12-09T08:51:54+5:30

नए नियम के मुताबिक, विषय बदलने का विकल्प छात्रों को दूसरे सेमेस्टर के बाद बीटेक से बीएससी करने की अनुमति देता है। सूत्रों ने कहा कि कुछ आईआईटी के विपरीत, आईआईआईटी ने शैक्षणिक दबावों का सामना कर रहे छात्रों को विषय बदलने के विकल्प प्रदान करने के विचार का विरोध किया है।

Over 7,000 exit BTech in IIT in last 5 years | IIT में पिछले 5 साल में 7,000 से अधिक बीटेक छात्रों ने बदला विषय

दूसरे सेमेस्टर की पढ़ाई के बाद संस्थान छात्रों को बीटेक की पढ़ाई को छोड़कर बीएससी पढ़ने की अनुमति देता है।

Highlightsमंत्रालय की ओर से संस्थानों के छात्रों को दूसरे विषय को विकल्प के रूप में चयन करने की अनुमती प्रदान करने को मंजूरी दी गई।इसके मुताबिक,दूसरे सेमेस्टर की पढ़ाई के बाद संस्थान छात्रों को बीटेक की पढ़ाई को छोड़कर बीएससी पढ़ने की अनुमति देता है।

पिछले पांच वर्षों में 7,248 छात्रों ने देश के प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से इंजीनियरिंग की पढ़ाई को छोड़कर दूसरे विकल्प के विषयों का चयन किया है। लोकसभा में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने हाल ही में आईआईटी और भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी) जैसे शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों पर एक बयान जारी किया था। 

दरअसल, इस बयान में यह कहा गया था कि इन संस्थानों के छात्रों को दूसरे विषय को विकल्प के रूप में चयन करने की अनुमती प्रदान करने को मंजूरी दी गई। इसके बाद दूसरे सेमेस्टर की पढ़ाई के बाद संस्थान छात्रों को बीटेक की पढ़ाई को छोड़कर बीएससी पढ़ने की अनुमति देता है।

IIITs से ड्रॉपआउट डेटा उपलब्ध नहीं था। सूत्रों ने कहा कि कुछ आईआईटी के विपरीत, आईआईआईटी ने शैक्षणिक दबावों का सामना कर रहे छात्रों को विषय बदलने के विकल्प प्रदान करने का विरोध किया था। आपको बता दें कि कुछ महीने पहले, IIT परिषद ने प्रस्तावित नियम पर फैसला करने का निर्णय अलग-अलग संस्थानों में छोड़ दिया था।
 
इसके बाद, MHRD ने 16 अक्टूबर को अपने समन्वय मंच की बैठक में कार्यक्रम के कार्यान्वयन के तौर तरीकों पर निर्णय लेने के लिए IIITs के बोर्ड ऑफ गवर्नेंस के एक प्रस्ताव को मंजूरी दी। आपको बता दें कि देश में 24 आईआईआईटी हैं, उनमें से 19 सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल पर आधारित हैं।

इस मामले में आईआईआईटी-बैंगलोर के निदेशक एस सदगोपन ने कहा, “हम किसी विषय की पढ़ाई कर रहे छात्रों के विषय बदलने के विकल्प दिए जाने का इरादा नहीं रखते हैं क्योंकि इससे छात्र का एक नेगेटिव इमेज बनता है। यही नहीं विषय का बदलना छात्रों के संस्थान छोड़ने जितना बुरा है। ऐसे में उन्होंने कहा कि इस मामले में संस्थानों के शिक्षकों पर हर किसी को भरोसा करना चाहिए। वे दशकों से इस पेशेवर जीवन में हैं, वह जानते हैं कि छात्रों के लिए सबसे अच्छा क्या है।"

उन्होंने कहा कि IIIT हैदराबाद ने इस विकल्प को शुरू करने की योजना से इनकार किया है। IIIT अपने सभी छात्रों के प्रदर्शन पर बारीकी से नज़र रखती है, खासकर पहले साल के छात्रों पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है।

सदगोपन मानते हैं कि पहले वर्ष में अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्रों को बाद के वर्षों में आसानी से सामना करना पड़ता है। हमारे पास परीक्षाओं से ठीक पहले अतिरिक्त शैक्षणिक सहायता प्रदान करने की व्यवस्था हैं। 

संस्थान के निदेशक पीजे नारायणन ने कहा, "हमारे पास सीखाने के लिए एक लचीला दृष्टिकोण है- छात्र एक सेमेस्टर में कम क्रेडिट ले सकते हैं और डिग्री कार्यक्रम की आवश्यकताओं को अपने समय पर पूरा कर सकते हैं। " हालांकि, उन्होंने कहा कि बाहर निकलने का विकल्प कुछ संघर्षरत छात्रों की मदद करेगा। 

Web Title: Over 7,000 exit BTech in IIT in last 5 years

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