त्रिपुरा में विपक्षी पार्टियों ने उच्चतम न्यायालय के वकीलों और अन्य के खिलाफ कार्रवाई की निंदा की

By भाषा | Updated: November 7, 2021 17:13 IST2021-11-07T17:13:19+5:302021-11-07T17:13:19+5:30

Opposition parties in Tripura condemn action against Supreme Court lawyers and others | त्रिपुरा में विपक्षी पार्टियों ने उच्चतम न्यायालय के वकीलों और अन्य के खिलाफ कार्रवाई की निंदा की

त्रिपुरा में विपक्षी पार्टियों ने उच्चतम न्यायालय के वकीलों और अन्य के खिलाफ कार्रवाई की निंदा की

अगरतला, सात नवंबर त्रिपुरा में अल्पसंख्यक समुदाय के पूजा स्थलों के खिलाफ कथित हिंसा को लेकर सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर उच्चतम न्यायालय के वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं समेत 102 लोगों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पर विपक्षी पार्टी कांग्रेस और माकपा समेत मानवाधिकार संगठनों ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है।

विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने रविवार को कथित तौर पर ‘सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने के लिए’ उच्चतम न्यायालय के कई वकीलों समेत अन्य पर दर्ज मामलों को वापस लेने की माांग की है।

त्रिपुरा प्रदेश कांग्रेस प्रमुख बिरजीत सिन्हा ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘ पानी सागर की मस्जिद पर विहिप कार्यकर्ताओं ने हमला किया और उन्होंने अल्पसंख्यक समुदायों के घरों में तोड़फोड़ की…पहले उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए। मैं नहीं मानता कि राज्य के दौरे पर आए वकीलों का इरादा बुरा था। उन्होंने कोई सांप्रदायिक विद्वेष नहीं फैलाया। सरकार को तत्काल उन लोगों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने चाहिए।’’

त्रिपुरा पुलिस ने शनिवार को सोशल मीडिया खाताधारकों के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए), आपराधिक साजिश और जालसाजी के तहत मामला दर्ज किया था।

पुलिस महानिरीक्षक (कानून-व्यवस्था) अरिंदम नाथ ने हालांकि कहा है कि कुल 102 लोगों के खिलाफ शिकायतें दर्ज की गई हैं और उच्चतम न्यायालय के चार वकीलों और तीन अन्य को नोटिस भेजा गया है। पुलिस यह स्पष्ट करना चाहती है कि प्राथमिकी दर्ज होने का मतलब यह नहीं है कि ‘‘ वे दोषी हैं।’’ नाथ ने कहा, ‘‘ अगर उन लोगों ने कुछ भी गलत नहीं कहा और उनका इरादा सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने या साजिश रचने का नहीं था तो उन्हें पुलिस के सामने पेश होना चाहिए और स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि पुलिस के संज्ञान में यह बात सामने आई है कि कुछ लोगों ने फर्जी सोशल मीडिया आईडी का इस्तेमाल कर सांप्रदायिक नफरत फैलाने की कोशिश की और पुलिस ने उन्हें पहचानने और कानून के तहत मामला दर्ज करने की सही पहल की।

नाथ ने कहा, ‘‘ हमने ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब को उनके अकाउंट बंद करने और उन लोगों के बारे में जानकारी देने के लिए नोटिस भेजा है।’’

उच्चतम न्यायालय के वकील एहतेशाम हाशमी, लॉयर्स फॉर डेमोक्रेसी के संयोजक वकील अमित श्रीवास्तव, एनसीएचआरओ के राष्ट्रीय सचिव अंसार इंदौरी और पीयूसीएल सदस्य मुकेश कुमार को नोटिस भेजे गए हैं।

वकीलों को दिए गए नोटिस में पुलिस ने उनसे अपने सोशल मीडिया पोस्ट डिलीट करने और 10 नवंबर तक जांचकर्ताओं के समक्ष पेश होने को कहा है।

त्रिपुरा मानवाधिकार संगठन (टीएचआरओ) ने उच्चतम न्यायालय के वकीलों को नोटिस भेजने की निंदा की और इसे लोकतांत्रिक अधिकारों की आवाज को चुप कराने वाला कदम करार दिया। संगठन ने सरकार के कदम को बेहद निंदनीय करार दिया।

वहीं, विपक्षी माकपा ने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले के बाद एक समूह के लोगों ने राज्य के अलग-अलग हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश की।

पार्टी ने एक बयान में कहा, ‘‘ जब कुछ वकील तथ्य जुटाने के लिए राज्य आए तो उनके खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया। यह असहिष्णुता का एक उदाहरण है। अगर उनकी कोई गतिविधि अवैध भी होती तो उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सामान्य कानून काफी थे लेकिन (यूएपीए) जैसे कड़े कानून के तहत मामला दर्ज करना असहिष्णुता का उदाहरण है।’’

गौरतलब है कि पड़ोसी बांग्लादेश में साम्प्रदायिक हिंसा के विरोध में विश्व हिंदू परिषद द्वारा निकाली गयी रैली के दौरान 26 अक्टूबर को चमटीला में कथित तौर पर एक मस्जिद में तोड़फोड़ की गयी और दो दुकानों को में आग लगा दी गई थी।

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Web Title: Opposition parties in Tripura condemn action against Supreme Court lawyers and others

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