विपक्ष बता रहा घोटोला, राम मंदिर न्यास ने पूरी पारदर्शिता की प्रतिबद्धता जतायी

By भाषा | Updated: June 14, 2021 22:37 IST2021-06-14T22:37:28+5:302021-06-14T22:37:28+5:30

Opposition is telling scam, Ram Mandir Trust has committed full transparency | विपक्ष बता रहा घोटोला, राम मंदिर न्यास ने पूरी पारदर्शिता की प्रतिबद्धता जतायी

विपक्ष बता रहा घोटोला, राम मंदिर न्यास ने पूरी पारदर्शिता की प्रतिबद्धता जतायी

अयोध्या, 14 जून राम मंदिर न्यास द्वारा यहां एक भूभाग के लिए ऊंची कीमत देने के आरोपों के बीच न्यास के महासचिव चंपत राय ने सोमवार को कहा कि संगठन पूरी पारदर्शिता बरतने पर प्रतिबद्ध है। वहीं कुछ स्थानीय प्रॉपर्टी डीलरों का कहना है कि न्यास को अच्छी कीमत पर जमीन मिल गई।

उन्होंने दावा किया कि मार्च में श्रीराम जन्मभूमि क्षेत्र न्यास द्वारा जो 12,000 वर्ग मीटर जमीन खरीदी गई थी, बाजार में उसकी कीमत उससे तीन गुना ज्यादा है जो न्यास ने चुकाई। रविवार को अलग-अलग प्रेस वार्ताओं में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और समाजवादी पार्टी के नेता पवन पांडेय ने कहा था कि मंदिर न्यास ने जमीन 18 करोड़ रुपये में उन लोगों से खरीदी थी जिन्होंने इसे केवल दो मिनट पहले दो करोड़ रुपये में खरीदा था।

अन्य विपक्षी दलों ने भी न्यास पर “भूमि घोटाला” करने का आरोप लगाया और सीबीआई तथा ईडी से जांच कराने की मांग की।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर जमीन के सौदे में कथित भ्रष्टाचार के दावे का हवाला देते हुए कहा कि राम मंदिर के लिए मिले चंदे का दुरुपयोग करोड़ों लोगों की आस्था का अपमान और अधर्म है।

सूत्रों ने कहा कि न्यास ने शनिवार रात को केंद्र सरकार को स्पष्टीकरण भेजा और कहा कि उसने वर्तमान दर से अधिक में जमीन का सौदा नहीं किया।

चंपत राय ने सोमवार को कहा कि राम मंदिर परिसर को विस्तार देने के लिए जिन लोगों की संपत्ति खरीदी गई थी उनके पुनर्वास के लिए उक्त जमीन खरीदी गई। उन्होंने कहा, “हम जमीन खरीदने में पूरी पारदर्शिता बरत रहे हैं।” राय ने कहा कि पैसा जमीन बेचने वालों के बैंक खाते में जा रहा है।

कुछ प्रॉपर्टी डीलरों के मुताबिक न्यास ने जो जमीन 18.5 करोड़ रुपये में खरीदी उसकी कीमत पांच हजार रुपये प्रति वर्ग फुट है। स्थानीय डीलर सौरभ विक्रम सिंह के अनुसार जमीन 60 करोड़ रुपये से अधिक की है। प्रशासन से जुड़े सूत्रों ने बताया कि शुरुआती समझौता 2017 में हुआ था और उस समय उच्चतम न्यायालय का फैसला नहीं आया था और न ही अयोध्या में जमीन के दाम आसमान छू रहे थे।

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Web Title: Opposition is telling scam, Ram Mandir Trust has committed full transparency

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