गुवाहाटी, 28 दिसंबर असम में विपक्षी कांग्रेस ने मंगलवार को मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा को अपना सुरक्षा कवर त्यागने की चुनौती दी। दरअसल, मुख्यमंत्री ने कुछ दिन पहले निजी सुरक्षा अधिकारियों (पीएसओ) द्वारा मुहैया की जाने वाली सुरक्षा को ‘कांग्रेस की संस्कृति’ बताते हुए इसका उपहास किया था।
राज्य सरकार ने व्यक्तियों और नेताओं को सुरक्षा खतरा की संभावना के मद्देनजर पीएसओ की जरूरत का आकलन करने के लिए एक समिति गठित की है।
असम प्रदेश कांग्रेस समिति अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा ने कहा कि 1991 में बाजार से लौटते समय गुवाहाटी में पार्टी के नेता मानबेंद्र शर्मा की गोली मार कर हत्या किये जाने के बाद पीएसओ तैनात करने की व्यवस्था शुरू की गई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि असम पुलिस कहती है कि राज्य शांतिपूर्ण है, तो मुख्यमंत्री को असम में सुरक्षा कवर नहीं लेना चाहिए। मुख्यमंत्री को कम से कम अपने पीएसओ का त्याग करने दीजिए।’’
सरमा ने शनिवार को पीएसओ सुरक्षा के खिलाफ बयान देते हुए इसे कांग्रेस की संस्कृति बताया था और दावा किया था कि राज्य में भारतीय जनता पार्टी के किसी भी नेता को कोई खतरा नहीं है क्योंकि उन्होंने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया है।
उन्होंने यह भी कहा था कि उनके पीएसओ हटाने की उन्हें शक्तियां प्राप्त है लेकिन वह किसी पार्टी की ओर से इस बारे में अनुरोध का इंतजार कर रहे हैं।
विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया (कांग्रेस) ने कहा, ‘‘भाजपा नेताओं को ‘फील गुड’ कारक के तौर पर पीएसओ दिये गये क्योंकि उन्होंने अब तक सत्ता का लाभ नहीं उठाया था। अब मुख्यमंत्री चाहते हैं कि इन अतिरिक्त पीएसओ को कैसे वापस लिया जाए। ’’
एआईयूडीएफ विधायक अमीनुल इस्लाम ने कहा कि पीएसओ देने या हटाने के विषय का निस्तारण सुरक्षा एजेंसियों को करना चाहिए।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री केशव महंत ने कहा कि पीएसओ मुद्दे पर कैबिनेट बैठक में चर्चा की गई, जिसने इस सिलसिले में एक समिति गठित की है।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।